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बहराइच जिला - पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

बहराइच जिला - पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

बहराइच जिला - पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru


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बहराइच जिला का परिचय

बहराइच जिला उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है यह जिला देवीपाटन मंडल में आता है, बहराइच जिला का मुख्यालय बहराइच शहर में स्थित है।

बहराइच जिला का इतिहास

प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास से बहराइच सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है, बहराइच जिले की सीमा नेपाल से लगती है, बहराइच जनपद चारों तरफ से जंगलों से ढका हुआ है, बहराइच के बारे में कई पुरानी मान्यताए हैं जो प्राचीन काल में भगवान ब्रह्मा की राजधानी हुआ करती थी। जो ब्रह्मांड के निर्माता के रूप में प्रसिद्ध है यह जगह पर गंधरक वन के रूप में जाना जाता था। आज भी जिला उत्तर और पूर्व में जंगलों से ढका हैं। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी इस वन क्षेत्र को ऋषि मुनियों के साधना के लिए बनाया था। इसलिए इस स्थान को ब्रह्म राज के रूप में भी जाना जाता था। मध्यकाल में कुछ इतिहासकार के अनुसार यह स्थान राजभर वंश की राजधानी हुआ करती थी। बहराइच के रूप में जाना जाने लगा। प्रसिद्ध चीनी यात्री होंगसंग और फायायन ने इस जगह को चिन्हित किया, प्रसिद्ध अरब यात्री इब्ने बाग टूटे ने भी बहराइच जिला की यात्रा किया, बहराइच बहुत सुंदर शहर लिखा, जो सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है। बहराइच जिला का संबंध महाभारत काल से भी माना जाता है, कि पांडवों ने माता कुंती के साथ अज्ञातवास के दौरान इस स्थान का दौरा किया। मां महाराजा जनक के गुरु अष्टावक्र यहां रहते थे ऋषि वाल्मीकि और ऋषि वाकष्ठ यहां के पवित्र धरती पर रहते थे। पुराणों के अनुसार भगवान राम के पुत्र लव और राजा परसलित बहराइच पर शासन किया करते थे। इतिहासकार के अनुसार इस स्थान जहां आजकल सैयद सालार गाजी मसूद की मजार है। प्राचीन समय में सूर्य मंदिर था। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर की सिंधौली के रानी जोहरा बीवी ने बनवाया था, दरगाह को बनवाने सुल्तान फिरोज शाह तुगलक को बताया जाता है, यहां मुस्लिम से ज्यादा हिंदू लोग आते हैं। यहां सैयद सालार मसूद मकबरा हैं, सैयद सालार अफगानी योद्धा थे और महमूद गजनी के भांजे थे। उनकी मृत्यु 1033 ई को राजा सुहेलदेव के द्वारा युद्ध में हुई। बहराइच में हर साल जेष्ठ के माह में मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं और खास बात यह है हिंदू से ज्यादा मुस्लिम भी आते हैं।

बहराइच जिला के पड़ोसी जिला और देश 

बहराइच की संस्कृति को यमुना व गंगा की तरह तहजीब दिया जाता। बहराइच जिला नेपाल जैसे पड़ोसी देश से अपनी सीमा साझा करता है, बहराइच के पश्चिम में लखीमपुर, सीतापुर, दक्षिण में हरदोई पूर्व और दक्षिण में गोंडा, पूर्व में श्रावस्ती जिला की सीमा लगती है। लखनऊ से बहराइच की दूरी 127 किलोमीटर है, देश की राजधानी नई दिल्ली से बहराइच की दूरी 680 किलोमीटर

बहराइच जिला की जनसंख्या, गांव व क्षेत्रफल 

भारत के नाम अधिक जनसंख्या वाला जिला बहराइच 90 स्थान पर है, और उत्तर प्रदेश के 34 से यह नंबर पर है।

बहराइच जिला की जनसंख्या 348731, (2011) के जनगणना के अनुसार 
  • पुरुष की संख्या 18438 84 
  • महिलाओं की संख्या 1643847
  • बहराइच जिला का क्षेत्रफल 469.68 वर्ग किलोमीटर है 
  • बहराइच जिला का साक्षरता दर 49.36
  • पुरुष साक्षरता दर 58. 24,%
  • महिला साक्षरता 39.18%
  • बहराइच में हिंदू की जनसंख्या 65% और मुस्लिम की जनसंख्या 33% सिख धर्म 0.1% और अन्य धर्म के लोग 2.5% अन्य धर्म के लोग रहते हैं।
  • बहराइच जिला में लिंग अनुपात प्रत्येक 1000 लड़कों पर 891 लड़कियों जन्म लेती हैं
  • बहराइच जिला में साक्षरता दर 49.36% है 
  • बहराइच जिला में गांव की संख्या 1387 है 

बहराइच जिला की तहसीलें व ब्लॉक 

बहराइच जिला में तहसीलों की संख्या पांच है: कैसरगंज, नानपारा, पयागपुर, बहराइच, महसी, मेही पुरवा स्थित मोतीपुर तहसील है।

बहराइच जिला में ब्लाकों की संख्या 14 है:
  • महसी, फखरपुर, चित्तौड़ा, शिवपुर, रिसिया, विशेश्वरगंज, जरवल, नवाबगंज, तेजबापुर, कैसरगंज, बलहा, प्रयागपुर, हुजूरपुर और मिहिनपुरवा।
  • बहराइच जिला का थाना 23 थाना है 
  • कोतवाली नगर, कोतवाली देहात, कैसरगंज, जरवल रोड, दरगाह शरीफ, नवाबगंज, नानपारा, पयागपुर, फखरपुर, मोतीपुर, रूपईडी, रानीपुर, रामगांव, रिसिया, खैरीगढ़, सुजौली, हजूरपुर, हरदी, विशेश्वरगंज, मटेरा, बौंदी, मुर्थिया, महिला थाना,
 

बहराइच जिला के राजनैतिक क्षेत्र 

बहराइच जिला के विधानसभा क्षेत्र: बलहा, नानपारा, मटेरा, महसी, बहराइच, पयागपुर और कैसरगंज।
बहराइच में दो लोकसभा पड़ती हैं: बहराइच सदर और कैसरगंज। 

कैसरगंज लोकसभा, बहराइच जिले की दो विधानसभा सीट कैसरगंज और पयागपुर, गोंडा जिला की तीन विधानसभा हैं कटरा, बाजार, करनैलगंज और तरबगंज विधानसभा सीटों से मिलकर कैसरगंज लोकसभा का निर्माण किया गया था।

बहराइच जिला की प्रमुख नदियां 

बहराइच जिला की प्रमुख नदियां; सरयू, घाघरा और राप्ती नदियां हैं।

बहराइच जिला में यातायात के साधन

वर्तमान समय में बहराइच से छोटी लाइन और बड़ी लाइन ट्रेन दोनों संचालित हो रही हैं, बहराइच जिला से गोंडा तक बड़ी लाइन ट्रेन चलती है, और बहराइच से नेपालगंज तक और मैलानी तक छोटी लाइन ट्रेन चलती है। वहां पर बस के द्वारा भी यात्रा किया जा सकता है। बहराइच रेलवे स्टेशन सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है, जिसमें बहराइच रेलवे स्टेशन दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां पर प्लेटफार्म संख्या तीन है, इससे प्लेटफॉर्म के जरिए रोज लाखों की संख्या में यात्री आवा गमन करते हैं।

बहराइच जिला - पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

बहराइच बहुत ही साफ - सुथरा शहरों में से एक है। प्राइमरी लेबर से लेकर इंटरमीडिएट लेवल तक कई बेहतरीन स्कूल कॉलेज बहराइच के आसपास जिलों तक प्रसिद्ध है। शहर में एक सरकारी डिग्री कॉलेज है, जिसका नाम किसान डिग्री कॉलेज है। इसके अलावा शहर में प्राइवेट स्कूल कॉलेज और डिग्री कॉलेज स्थित है। बहराइच शहर में राजकीय आईटीआई एवं राज्य के पॉलिटेक्निक कॉलेज भी है। इस शहर का सबसे बड़ा अस्पताल सरकारी जिला अस्पताल है। जिससे सरकारी अस्पताल में आसपास जिले के लोग आते हैं, बहराइच जिले में कई प्राइवेट अस्पताल बहुत अच्छे से संचालित और इलाज करते हैं। 

बहराइच जिला की प्रमुख फसलें 

बहराइच जिले की प्रमुख फैसले; धान, गेहूं, गाना, मक्का, सरसों, अरहर, उड़द, चना, मटर, पिपरमेंट, सूर्यमुखी तथा कुछ भागों पर आम अमरूद केला और जिले में कुछ भागों के किसान के द्वारा सेब और फूल की खेती की जाती है, बहराइच जिले की अर्थव्यवस्था खेती से है। गेहूं, धान, सफेद चना। शहर के उद्योग में चीनी मिल, आटा मिल, पेपर मिल लकड़ी उद्योग और कई सारे छोटे बड़े उद्योग है।

बहराइच जिला के पर्यटन

बहराइच जिला में कतर्निया घाट टाइगर रिजर्व मुख्य पर्यटन स्थल में से है। इस टाइगर रिजर्व को 1975 में लगभग 5000 वर्ग किलोमीटर में स्थापित किया गया था, यह टाइगर रिजर्व दुधवा टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है। ये टाइगर रिजर्व नेपाल देश की सीमा से काफी नजदीक है, बहराइच के तराई क्षेत्र में स्थित है, यह टाइगर रिजर्व बहराइच शहर से सड़क मार्ग 86 किलोमीटर और रेलवे मार्ग से 105 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, विभिन्न प्रकार जाति के जानवर पशु को देख सकते हैं। जैसे जंगली सूअर, काला हिरण, घड़ियाल, बाग, डॉल्फिन आदि शामिल है।

बाबा जंगली नाथ ऐतिहासिक मंदिर बहराइच शहर में भगवान शिव को समर्पित है। यहां रहने वाले लोग थारू जनजाति के हैं। लोग मंदिर को धार्मिक और पवित्र स्थान बताते हैं, जंगली नाथ मंदिर को सावन ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है। पुराणों के अनुसार पांडवों को अज्ञातवास के कालखंड के से जुड़ा हुआ है। जंगलों में भटकते हुए इस स्थान पर पहुंचे थे, शिवलिंग का दर्शन हुआ तो उसके बाद में पांडवों ने शिवलिंग प्राण प्रतिष्ठा करवाया था। इस स्थान पर एक भव्य मंदिर को स्थापित करवाया जो आज के समय में बाबा जंगली नाथ मंदिर के नाम से पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। यहां पर वर्ष भर में वैशाख अमावस्या और माग की महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें पर्यटकों की भारी मात्रा में भीड़ देखने को मिलती है।

बहराइच जिले को विधानसभा पयागपुर में स्थित प्रयागपुर चौक से कुछ दूरी पर सड़क के बीचो-बीच में स्थित बाबा राम प्रकाश जी का प्रसिद्ध मंदिर है, इस मंदिर के दोनों तरफ से रास्ता है, पयागपुर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना रहा, लेकिन विभिन्न अभिलेख में दर्ज है की 11 नवंबर 1788 ई को वह दिन था जब राजपूत और क्षत्रिय राजा रम्य शाह ने प्रयागपुर नामक एक स्वतंत्र रियासत की स्थापना की थी। इस रियासत में इकौना, विशेश्वरगंज, चिल्हौरिया, हुजूरपुर वह पखरपुर के क्षेत्र शामिल थे। आगे चलकर यह प्रयागपुर नाम पयागपुर के नाम से जाना जाने लगा। पयागपुर के राजा हिम्मत सिंह ने कोर्ट बाजार का स्थापना किया था। साल 1984 में इस वंश के राजा भूपेंद्र सिंह ने "भूपेंद्र गंज बाजार" की स्थापना की थी और अंग्रेज अधिकारियों के सहयोग से पयागपुर में रेलवे स्टेशन का स्थापना करवाया था। आजादी के समय इस रियासत में राजा वीरेंद्र विक्रम सिंह राज करते थे। पयागपुर में बहुत पुरानी इमारत मौजूद हैं, ऐतिहासिक इमारत संरक्षण कर जीवनदान दिया जा सकता है। यही इमारते पयागपुर की और बहराइच जिले की शान है। पयागपुर के राजा का इतिहास गौरवशाली रहा है। पयागपुर की गिनती उत्तर प्रदेश के नामी - ग्रामी राजाओं में से एक थे। पूर्वजों की याद संयोजने के लिए राज्य परिवार ने एक तस्वीर घर का निर्माण करवाया था। पयागपुर की इमारत के डिजाइन कोलकाता के विक्टोरिया पैलेस से से मिलते जुलते हैं। इसके अंदर रखी राजा भूपेंद्र सिंह की प्रतिमा को देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं उसे जमाने में उनका क्या जज्बा और रुतबा रहा होगा। लोगों के अनुसार तस्वीर घर में रखी तस्वीर पुरातत्व विभाग और कई इमारत पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया है।

बहराइच जिला का राजनीतिक इतिहास

बहराइच लोकसभा पहले सामान्य सीट हुआ करती थी, साल 2009 में बहराइच लोकसभा सीट सामान्य से आम चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट बनाई गई। बहराइच लोकसभा में उत्तर प्रदेश की पांच विधानसभा सीट हैं; बलहा, महसी, नानपारा, बहराइच और मटेरा

बहराइच जिला में 1952 में पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ था। तब रफी अहमद किदवई ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था। बहराइच के पहले संसद के रूप में निर्वाचित हुए थे। 1977 से 1989 तक अलग-अलग पार्टियों के प्रत्याशी चुनाओ जीते रहे। 1991 से 1996 में जीत हासिल करने भारतीय जनता पार्टी और 1998 तीसरी बार लगातार जीत का सपना देख रही भारतीय जनता पार्टी को बहुजन समाज पार्टी के आरिफ़ मोहम्मद खान ने जीत दर्ज किया था उस समय भारतीय जनता पार्टी का सपना तोड़ दिया था। लेकिन आगे ही अगले ही साल 1999 के आम चुनाव में बीजेपी के पदसेन चौधरी ने आरिफ मोहम्मद खान को चुनाव हरा दिया था। 2004 में सपा यहां और 2009 में बसपा दोनों एक-एक बार लोकसभा का चुनाव जीती। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां पर अपना कब्जा जमाया बहराइच में दलित समाज की मेहबूबा बनकर उभरी सावित्रीबाई फुले 2014 का लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंची। पार्टी में उनकी बन न पाने के कारण सावित्रीबाई फुले ने एक आरोप लगाया की दलित होने के कारण उनका सुना नहीं जाता। यह कहकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी। 2019 में तब बीजेपी ने अच्छैवार लाल गौड़ को अपना प्रत्याशी बनाया, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट जीत का सांसद चुने गए, फिर एक बार 2024 का लोकसभा चुनाव में अच्छैवार लाल गौड़ चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 

  • बहराइच लोकसभा सीट में लगभग 17 लाख 13390 वोट हैं 
  • पुरुष की जनसंख्या 9 लाख 1300553 है 
  • महिला की जनसंख्या 8 लाख यह 1000 171 है 
  • ट्रांसजेंडर की जनसंख्या 121

बहराइच जिला की भाषाएं 

बहराइच जिला में अवधी और हिंदी भाषा बोली जाती है

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