लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। ये जिला लखनऊ मंडल का हिस्सा है। लखीमपुर खीरी को पहले लक्ष्मीपुर के नाम से जाना जाता था। इस जिले कि प्रशासन राजधानी लखीमपुर शहर में है। प्राचीन समय में यह जिला कई वनों से घिरा हुआ था। लखीमपुर और खीरी दो नगरों को मिलाकर इस जिला का नाम पड़ा लखीमपुर खीरी। लखीमपुर खीरी को नेपाल का द्वार भी कहा जाता है।
लखीमपुर खीरी जिले के याद रखने वाले तथ्य:
लखीमपुर खीरी जिले में सात तहसील हैं; गोला गोकर्णनाथ, धौरहरा, निघासन, पालिया, मितौली, मोहम्मदी, लखीमपुर खीरी।
लखीमपुर खीरी में 15 ब्लॉक हैं; लखीमपुर खीरी, बेहजम, मितौली, पसगवा, गोला, बांकेगंज, बिजुआ, पालिया, ईसानगर, धौरहरा, नकहा, फुलबेहड़, रमियाबेहड़, निघासन, मोहम्मदी।
लखीमपुर खीरी जिला में आठ विधानसभा सीट आती है; श्रीनगर, गोला, निघासन, पालिया, धौरहरा, लखीमपुर, कस्ता, मोहम्मदी।
लखीमपुर खीरी में थानों की संख्या 23 है; भीरा, चंदन चौकी, धौरहरा, फरधान, गौरीफनटा, गोला, हैदराबाद, ईसानगर, खेरी, कोतवाली सदर, मैगलगंज, मैलानी, मितौली, मोहम्मदी, नीमगांव, निघासन, पालिया कलां, पसगवां, फूल बेहड़, संपूर्ण नगर, सिंगाही, तिकोनिया, महिला थाना।
- लखीमपुर खीरी जिले में प्रमुख रूप से तीन भाषाएं बोली
- जाती हैं; हिंदी, अवधि और उर्दू भाषाएं बोली जाती है।
- लखीमपुर खीरी में कुल गांवों की संख्या 1811 है।
- लखीमपुर खीरी में ग्राम पंचायत की संख्या 1167 है।
- लखीमपुर खीरी की जनसंख्या 4021243 है 2011 जनगणना के अनुसार
- पुरुषों की जनसंख्या 210230187 वहीं पर महिलाओं की जनसंख्या 1898056 है।
- लखीमपुर खीरी में लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 960 महिलाएं हैं।
- लखीमपुर खीरी में हिंदू धर्म को मानने वाले 77% लोग रहते हैं। मुस्लिम धर्म की जनसंख्या 19% है। बाकी अन्य धर्म के लोग रहते हैं। 2011 जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में सिखों की आबादी 643530 जिसका 15% यानी 94388 सिख लखीमपुर खीरी में रहते हैं।
- लखीमपुर खीरी का RTO कोड UP31 है।
- लखीमपुर खीरी की नई दिल्ली से दूरी लगभग 457 किलोमीटर है, और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लखीमपुर खीरी की दूरी 134 किलोमीटर है।
- लखीमपुर खीरी का क्षेत्रफल 7680 वर्ग किलोमीटर है।
- लखीमपुर खीरी की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत साक्षरता दर से कम है। 2011 के आंकड़ों के मुताबिक लखीमपुर खीरी जिले में साक्षरता दर 61% के करीब है। जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 70% और महिलाओं की साक्षरता दर 50% है।
लखीमपुर खीरी प्रमुख रूप से बहने वाली नदियां; शारदा, घाघरा, उल, कोरियाला, सरायन, चौका, गोमती, कथाना, सरयू और मोहना आदि नदियां बहती हैं।
लखीमपुर खीरी से सीमा साझा करने वाले जिले व देश:
लखीमपुर खीरी के पूर्व में नेपाल देश और बहराइच की सीमा लगती है। उत्तर में नेपाल देश की सीमा, दक्षिण में हरदोई, सीतापुर। पश्चिम में पीलीभीत और शाहजहांपुर की सीमा लगती है।
लखीमपुर खीरी का मध्यकालीन इतिहास:
लखीमपुर खीरी जिला का संबंध महाभारत काल से है। परंपराओं के अनुसार हस्तिनापुर की समुद्र गुप्त के शासन के तहत इस क्षेत्र को शामिल करने की तरफ इशारा करती है। इस जिले में खैराबाद के पास एक पत्थर का घोड़ा पाया गया था जो चौथी सदी के सम्राट समुद्रगुप्त के शिलालेख को दर्शाता है। मगध के सम्राट समुद्रगुप्त ने अशव मेघ यज्ञ किया था। जिसमें एक घोड़ा को स्वतंत्र रूप से पूरे देश में घूमने के लिए छोड़ा था। वही पत्थर का घोड़ा की आकृति अशव यज्ञ के तरफ इशारा करती है। अब यह पत्थर की आकृति लखनऊ के संग्रहालय में रख दिया गया है। दसवीं शताब्दी के अंत में यहां राजपूत राजाओं का प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त होने लगा था और मुस्लिम राजाओं के नियंत्रण में लखीमपुर खीरी आने लगा था। 14वीं शताब्दी के पूरे क्षेत्र में मुस्लिम राजाओं का अधिकार हो गया था मुगल शासन काल में अकबर के समय में क्षेत्र के अवध के नवाबों के अधिकार हुआ करता था लेकिन नियंत्रण मुगलों के हाथ में रहा। 17वीं शताब्दी के बाद में पूरा क्षेत्र में अंग्रेजों के अधीन हो गया था। लखीमपुर खीरी का प्राचीन नाम लक्ष्मीपुर नाम से जाना जाता था। यह जिला हमेशा शिव और शक्ति का उपासना का केंद्र रहा। यहां भगवान श्री कृष्ण ने भी संकटा देवी मंदिर का स्थापना की थी, और सातों देवी का जन्म स्थान होने का गौरव इस जिले को प्राप्त है। लखीमपुर खीरी जिले में गोला गोकर्णनाथ भोलेनाथ, लालोती नाथ, भूतेश्वर नाथ और जंगली नाथ नमक कई प्राचीन शिव मंदिर हैं। कृपाल भोले बाबा आश्रम, गजन मोचन आदि प्रसिद्ध मंदिर। इन धार्मिक जगहों पर आसपास के जिले के लोग आते हैं।
लखीमपुर खीरी जिले की अर्थव्यवस्था:
भारत और नेपाल सीमा पर स्थित लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश का एक बड़ा जिला है। जिसकी प्रशासनिक राजधानी लखीमपुर खीरी शहर में है। पुराने समय में लक्ष्मीपुर के नाम से जाना जाता था। यह जिला हिमालय के आधार पर निचले इलाके के भीतर कई नदियों और हरे भरे वन, हरे भरे पेड़ पौधे है। लखीमपुर खीरी में कई नदियां परवाह करती हैं। भारत सरकार ने 2001 की जनगणना के अनुसार लखीमपुर खीरी को अल्पसंख्यक बहुल जिले के रूप में घोषित किया था। 14वीं शताब्दी में नेपाल से हमले और घुसपैठ को रोकने के लिए उत्तरी सीमा पर कई जगहों और किनारे पर किलो का निर्माण करवाया था। लखीमपुर खीरी जिले जिनमें से 7045 हेक्टर का क्षेत्रफल कृषि करने लायक भूमि है। जबकि 1273 वर्ग किलोमीटर जंगल के अंतर्गत आता है। और बाकी का क्षेत्रफल अन्य संरचना में आता है; जैसे कि घर और कारखानों के अंतर्गत समाहित है। लखीमपुर खीरी प्रमुख रूप से गन्ना उत्पादक जिला है। चीनी उद्योग जिला की अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है। भारत की सबसे बड़ी चीनी मिल की लखीमपुर में स्थित है। लखीमपुर खीरी में एशिया की सबसे बड़ी तीन चीनी मिले हैं। उत्तर प्रदेश अर्थशास्त्र और संख्याकी निर्देशक के जारी जिले डेमोक्रेटिक प्रोडक्ट डाटा के अनुसार वर्ष 2019 और 2020 में लखीमपुर खीरी कृषि और पशुपालन क्षेत्र में जीडीपी का 3.38% यानी 12414 करोड़ का योगदान दिया था। पिछले साल लखीमपुर सारे घरेलू उत्पादन में कृषि और मत्स्य पालन क्षेत्र में बहुत बड़ा हिस्सा लिया 45.30% था। जो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 23.7% और भारत की सबसे ज्यादा 18.4% से ज्यादा था। यह पता चलता है कि लखीमपुर खीरी की अर्थव्यवस्था कृषि के अंतर्गत केंद्रित है। और पशुपालन और खेती का प्रमुख स्रोत है। लखीमपुर खीरी में प्रमुख रूप से बोई जाने वाली फसल; गन्ना, मक्का, गेहूं, उड़द, मटर, चना और सब्जियों की खेती की जाती है। लखीमपुर खीरी जिले की प्रति व्यक्ति आय 58000 प्रति वर्ष है।
लखीमपुर खीरी जिले के यातायात के साधन:
लखीमपुर शहर से निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लखनऊ में चौधरी चरण सिंह की लखीमपुर खीरी शहर से दूरी 134 किलोमीटर से कुछ ज्यादा है। सड़क मार्ग से दिल्ली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, गोला गोकरननाथ, लखीमपुर सड़क मार्ग से होकर पहुंचा जा सकता है। लखनऊ–सीतापुर मार्ग से लखनऊ राज्य की राजधानी तक पहुंचा जा सकता है। इस जिले की प्रमुख ट्रेन की बात करें तो लखीमपुर खीरी जंक्शन जो कि भारतीय रेलवे के नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे जोन के अंतर्गत आता है और इसकी प्रमुख लाइन में लखनऊ, सीतापुर, पीलीभीत और बरेली कासगंज लाइन शामिल होती है। इस रेलवे स्टेशन से देश के कई बड़े शहरों के लिए ट्रेन सेवाएं लागू होती हैं।
लखीमपुर खीरी जिले का राजनीतिक इतिहास:
लखीमपुर खीरी लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा सीट आती हैं; पलिया, निघासन, गोला गोकर्णनाथ, श्रीनगर, लखीमपुर खीरी, जिसमें श्रीनगर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। लखीमपुर के पहले सांसद बने थे खुशवंत राय जो प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से थे। 1962 से लेकर 1972 तक कांग्रेस का राज रहा। 1977 में लोक दल का परचम लहराया था। 1989 से लेकर 1991 कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था। उसके विजय रथ को भारतीय जनता पार्टी ने रोका था। इस सीट पर गेंदालाल कनौजिया ने जीत हासिल किया। वही दोबारा इस सीट पर सांसद चुने गए लेकिन साल 1998, 1999, 2004 में यहां से समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा। लेकिन 2009 में कांग्रेस ने जीत दर्ज किया। लेकिन 2014 में भाजपा की खेमे में यह सीट चली गई। अजय मिश्रा टेनी यहां से सांसद चुने गए 2019 में लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट पर कुल मतदाता जनसंख्या 1757116, जिसमे पुरुष जनसंख्या 939958 और महिला की जनसंख्या 817117 है वही ट्रांसजेंडर 41 की संख्या में रहते हैं।
लखीमपुर खीरी के धार्मिक व पर्यटन स्थल:
- देवकली मंदिर: यह मंदिर लखीमपुर खीरी जिले के देवकली गांव में बना हुआ है। इस मंदिर में आपको स्वर्ण शिवलिंग के दर्शन करने को मिलेगा, यहां पर आपको परशुराम जी की बहुत बड़ी प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। इस मंदिर हनुमान जी की भी बहुत बड़ी प्रतिमा बनी हुई है।
- बाबा लिलोटी नाथ धाम: यह मंदिर लखीमपुर खीरी जिले के मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूरी पर गोमती नदी के किनारे बना हुआ है। इस मंदिर में शिवलिंग का दर्शन करने के लिए मिलता है। इसके अलावा इस मंदिर में जो शिवलिंग विराजमान है उसके बारे में कहा जाता है की शिवलिंग दिन में तीन बार, तीन तरह का रंग बदलता है।
- बालाजी मंदिर: यह मंदिर खीरी लखीमपुर जिले में है। यह मंदिर बहुत सुंदर है, और बहुत विशाल है। इस मंदिर में आपको साईं बाबा जी का दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
- गोला गोकर्णनाथ शिव मंदिर: इस मंदिर को छोटी काशी गोला शिव नगरी के नाम से जाना जाता है। यहां पर भगवान शिव का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। गोकर्णनाथ शिव मंदिर लखीमपुर जिले में गोला ब्लॉक में स्थित है। यहां पर शिव जी का शिवलिंग जमीन के अंदर धंसा हुआ है, और बहुत सुंदर लगता है।
- खैरागढ़ राजमहल: यह राजमहल खीरी लखीमपुर के निघासन तहसील के पास में खैरागढ़ स्टेट में स्थित है। जो कि राजा इंद्र विक्रमाशाह और राजा पृथ्वी ध्वज शाह के कार्यकाल में इस महल का निर्माण 19वीं शताब्दी में वस्त्र कला इंडो सारीकान से किया गया था। इस महल को महारानी सूरत कुमारी के नाम से भी जाना जाता है।
- इंदिरा मनोरंजन पार्क: यह पार्क पूरी तरह से प्राकृतिक को समेटे हुए है और यहां पर एक सुंदर पार्क बना हुआ है। यहां पर आपको चारों तरफ पेड़ पौधे देखने के लिए मिलते हैं। इंदिरा मनोरंजन पार्क खीरी लखीमपुर का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह पार्क लखीमपुर खीरी के निघासन रोड पर स्थित है।
- शारदा बैराज: यह जलाशय लखीमपुर खीरी के शारदा नगर क्षेत्र में स्थित है। यह बांध काली नदी पर बना हुआ है। शारदा डैम खीरी लखीमपुर का एक सुंदर स्थान है। यह एक जलाशय है जो कि लखीमपुर जिले के पिकनिक स्पॉट के रूप में माना जाता है।
- श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर: यह मंदिर खीरी लखीमपुर के राजपुर में स्थित है। यहां मंदिर के लखीमपुर के नाना राव हाईवे सड़क पर स्थित है। श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर खीरी लखीमपुर का एक प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के गर्भ गृह में हनुमान जी की बहुत ही भव्य प्रतिमा देखने के लिए मिलती है।
- चौधरी चरण सिंह जलाशय: यह जलाशय लखीमपुर खीरी जिले में निघासन तहसील के आसपास में स्थित है। यहां एक जलाशय है। जो जलाशय घाघरा नदी पर बना हुआ है। यह जलाशय चौधरी चरण सिंह को समर्पित है। चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा रहे हैं। यहां पर आपको चौधरी चरण सिंह की मूर्ति देखने के लिए मिलती है।
- त्रिलोकी नाथ मंदिर: यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर बहुत बड़ा और बहुत सुंदर है। यह मंदिर भी प्राचीन काल से यहां पर बना हुआ है। आपको यह प्रचीन शिवलिंग का दर्शन करने के लिए मिलता है। यहां पर धर्मशाला भी है जहां पर श्रद्धालु विश्राम करते हैं। त्रिलोकी नाथ मंदिर खीरी लखीमपुर के गोला तहसील में स्थित है।
- भूतनाथ मंदिर: यह मंदिर प्राचीन काल से यहां बना है और सावन के सोमवार के समय पर यहां पर जो विशाल मेला लगता है। यह मेला "विभूति नाथ मेला" के नाम से ही प्रसिद्ध है। आपको यहां एक प्राचीन कुआं देखने को मिलेगा जहां पर ग्वाला अपनी जान बचाने के लिए कूद गया था। इसलिए इस जगह को ग्वाला के नाम से जाना जाता है।
- मेंढक मंदिर सूखे और बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं से बचा हुआ है। मेंढक मंदिर में शिव जी का खास शिवलिंग है जो रंग बदलता रहता है। यहां खड़ी नंदी की मूर्ति जो आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगी। मंदिर के दीवारों पर तांत्रिक देवी देवताओं की मूर्ति लगी हुई है। मंदिर के अंदर कई विचित्र चित्र लगे हैं। जो मंदिर मंदिर के सदर रूप को दिखाते हैं। मंदिर के सामने ही मेंढक की मूर्ति है और पीछे भगवान शिव का पवित्र मंदिर है जो एक गज के साथ चौकोर आकार में बना हुआ है, जो पुराने इतिहास को समेटे हुए है।
लखीमपुर खीरी जिले के वन्य अभ्यारण:
दुधवा नेशनल पार्क उत्तर प्रदेश के खीरी लखीमपुर जिले में स्थित है यह खीरी लखीमपुर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर भारत नेपाल सीमा से सटा हुआ है एक जंगल है यहां जंगली जानवर बाघ, बारासिंघा आदि जानवरों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। ये वन क्षेत्र में उन में शामिल है जहां विभिन्न प्रकार के वनस्पति और वन्य जीव की प्रजातियां प्राकृतिक रूप से पाई जाती हैं। दुधवा उद्यान को दो भागों में विभाजित किया गया है; पहले किशनपुर वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी और दूसरा कतर्निया घाट वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी। दुधवा नेशनल पार्क से किशनपुर वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है तथा खीरी लखीमपुर से कतर्निया घाट वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी की दूरी लगभग 1.5 किलोमीटर है।
दुधवा नेशनल पार्क उत्तर प्रदेश का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान मोहन और सहेली नदियों के बीच 775 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र को 1861 में आरक्षित घोषित कर दिया गया था। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। जो प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। वह सभी प्रजाति, जीव-जंतु, पशु-पक्षी पाए जाते हैं। वहीं पर बड़ी संख्या में हिरण कई प्रजाति के पाई जाती है। अथवा बाघ, तेंदुआ, बारहसिंगा, हाथी, सियार, लकड़बग्घा और एक सींघ वाला गैंडा यहां पर पाया जाता है। यहां पर लगभग 400 से अधिक प्रजातियां पाई जाती है।
किशनपुर वन अभ्यारण: यह वन अभ्यारण दुधवा नेशनल पार्क का एक भाग है। इस पार्क में आपको बहुत सारे जंगली जानवर देखने के लिए मिल जाते हैं। यहां पर आपको विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां भी देखने के लिए मिलती हैं। यहां पर आप सफारी का मजा ले सकते हैं। किशनपुर वन्य जीव अभ्यारण खीरी लखीमपुर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।