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हरदोई जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

हरदोई जिला उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण जिला है, जो लखनऊ मंडल के अंतर्गत आता है। इसका नाम पहले हरि द्रोही था। हरदोई की स्थापना 28 अक्टूबर 1858 को हुआ था।

Hardoi District

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हरदोई जिला का मध्यकालीन और प्राचीन इतिहास: 

हरदोई जिला भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। यह उत्तर प्रदेश के मध्य भाग में स्थित, यह जिला लखनऊ मंडल के अंतर्गत आता है। हरदोई शहर जिले की प्रशासनिक मुख्यालय हैं। इस जिले का प्रसिद्ध इतिहास शिव पुराण के परंपराओं के अनुसार कथाओं पर आधारित है। शिव पुराण के अनुसार इस स्थान का संबंध राजा हिरणाकश्यप से है। ऐसा मानता है कि प्राचीन काल में हिरणाकश्यप के नाम के दैत्य ने इस स्थान पर शासन किया था। उसके पुत्र का नाम पहलाद था। आप लोग को भगवान पहलाद के भक्ति के बारे में सबको पता होगा। हिरणाकश्यप भगवान विष्णु से नफरत करता था इसलिए इस स्थान का नाम हरि द्रोही पड़ा था और हरदोई का नाम बाद में हरि द्रोही से बदल कर हरदोई जिला के नाम से जाना जाने लगा। हरदोई में भगवान का दो अवतार हुए हैं। पहला अवतार नर्सिंग का और दूसरा अवतार भगवान बावन का दो अवतार होने के कारण शहर का नाम हरदोई पड़ा था। बाद में भाषा अंतर के चलते उसका नाम हरदोई पड़ा था परंतु उससे अधिक बिस्मार्क तत्व ऐसा विजयदशमी का पर्व संपूर्ण हरदोई नगर में कहीं पर रावण दहन का कार्यक्रम नहीं होता है क्योंकि सदियों से यह परंपरा ही नहीं है।

मध्यकालीन इतिहास की दृष्टि से इस जिले की सीमा क्षेत्र में मुगलों के शासको के बीच कई युद्ध हुए हैं। जबकि बिलग्राम और संडीला शहर के मध्य में हुए युद्ध में हुमायूं से शेरशाह सूरी हार गया था। आधुनिक क्रांति इतिहासकार के अनुसार यह जिला 1857 की क्रांतिकारी में अलग-अलग शहरों में हो रहे अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन में सहायक भूमिका में अपना योगदान पूरी निष्ठा के साथ पूर्ण किया था। ये जिला समुद्र तल से लगभग 140 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित है, और कुल आठ जिलों से घिरा हुआ है। पूर्व में गोमती नदी है, जो जिले को सीतापुर और खीरी लखीमपुर जिले की सीमा को अलग करती हैं।

मध्यकाल में भारत पर विदेशी आक्रमण जब शुरू हुआ था तो महमूद गजनवी का भांजा सैयद सलाम मकसूद गाजी का पहला आक्रमण हरदोई शहर पर हुआ था और उसने बिलग्राम की महिलाओं को अपने अधीन कर लिया था। सैयद सालार जल्द सफल नहीं हो पाया और बिलग्राम महिलाओं को छोड़कर आगे बढ़ गया। 1206 ईस्वी में विदेशी मुस्लिम का दिल्ली पर अधिकार हो गया था। इस समय भारत के छोटे-छोटे राजा दिल्ली के दिल्ली सल्तनत के अधीन थे। हिमायू के शासनकाल में यह क्षेत्र पूरी तरह से उसके नियंत्रण में रहा। 1539 ईस्वी में चौसा के 64 के युद्ध में शेरशाह सूरी ने हिमायू को पराजित कर दिया था। हिमायू हरदोई के बिलग्राम और पिहानी के जंगलों में सालों तक भटकता रहा।

भारत के स्वतंत्रता में हरदोई जिले के देश भक्तों ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन पर बड़ – चढ़ कर हिस्सा लिया था। शिव वर्मा एक ऐसे क्रांतिकारी थे जो चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के साथ-साथ कंधा मिलाकर अंग्रेजों के विरुद्ध आजादी की आवाज बुलंद की थी। हरदोई को गर्व है कि जिन्होंने इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्ग अक्षरों में दर्ज करवाया।

हरदोई जिला में याद रखने योग्य: 

हरदोई जिले की सीमा आठ जिलों से लगती है; लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ, उन्नाव, कानपुर, कन्नौज और फर्रुखाबाद।

हरदोई जिला में ब्लाकों की संख्या 19 है; अहिरौली, बावन बेहंदर, भरवान, बिलग्राम, हरियावां, हरपालपुर, कछौना, कोथावा, माधवगंज, भरखनी, मल्लावां, पिहानी, संडीला, सांडी, शाहाबाद, सुरसा, टड़ियावां, टोडरपुर।

हरदोई जिले में तहसीलों की संख्या 5 है; शाहाबाद, हरदोई, बिलग्राम, सवायजपुर, संडीला।

हरदोई जिला में 25 पुलिस स्टेशन या थाना है; अरवल, अतरौली, बेहटा, गोकुल, बेनीगंज, बघौली, बिलग्राम, हरपालपुर, हरियावां, कछौना, कासिमपुर, कोतवाली, कोतवाली देहात, लोनार, माधवगंज, मांझिला, मल्लावां, पाली, पचपेड़वा, पिहानी, शाहाबाद, सांडी, संडीला, सुरसा, टड़ियावां, महिला थाना हरदोई।

हरदोई जिला में आठ विधानसभा सीट हैं; सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई, गोपामऊ, सांडी, बिलग्राम मल्लावां, बालामऊ, संडीला।

हरदोई जिले में कुल जनसंख्या 4021243  (2011)के जनगणना के अनुसार पुरुषों की जनसंख्या 2123187, महिलाओं की जनसंख्या 1898056 है।
हरदोई जिले का कुल क्षेत्रफल 5989 वर्ग किलोमीटर है।
जबकि जनसंख्या घनत्व के प्रति वर्ग किलोमीटर पर 684 है।
हरदोई जिले में ग्राम पंचायत की संख्या 1306 और गांव की संख्या 2072
हरदोई जिला में सात नगर पालिका और 6 नगर पंचायत हैं।
1101 ग्राम पंचायत है और 191 न्याय पंचायत है

हरदोई जिले का साक्षरता दर 64.57% है 
हरदोई जिले में लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 868 महिलाएं हैं
हरदोई जिला 2011 के आधिकारिक जनगणना के अनुसार हिंदू बहुल जिला है। जिले में हिंदू की जनसंख्या 85.71% है। जबकि मुसलमान की जनसंख्या 13.59% है। बाकी दो परसेंट में सिख इसाई व अन्य धर्म के लोग रहते हैं।

हरदोई जिले में प्रमुख रूप से आठ नदिया बहती हैं, उनके नाम गंगा, गोमती, गौरा, नीलम, रामगंगा, कांदा, सुखेता, साईं आद नदिया बहती हैं।

हरदोई जिले की अर्थव्यवस्था:

हरदोई जिले की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन, मछली पालन, वन, खनिज उद्योग व्यवसाय पर आधारित है। यह जिला खनिज से ज्यादा समृद्ध नहीं है। यहां पर पाए जाने वाली प्रमुख खनिज वन संपदा है। क्रमशः रेत बालू बड़गड़वास, प्रीतम महुआ और जंगली जामुन है।

हरदोई जिले में प्रमुख फसलें जैसे की धान, मक्का, गेहूं, गन्ना, बाजरा, तिलहन, आलू, लहसुन और सब्जियों की खेती होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन जिले के लोगों एक महत्वपूर्ण आई का स्रोत है। जिले के प्रमुख पशुधन गाय बैल, भैंस, सूअर, भेड़, बकरी है। जबकि जिले में नहर, तालाब और जलाशय में विभिन्न प्रकार के मछली के उत्पादन किया जाता है। इस जिले में बड़े उद्योग का अभाव है। यह जिला कृषि आधारित उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। जिले में स्थित प्रमुख उद्योग में चावल मिल, चीनी मिल, आटा मिल, बेकरी उद्योग आदि हैं। जिले से निर्यात और आयात किए जाने वाले प्रमुख पदार्थ; खाद्य पदार्थ, अनाज, तिलहन, चीनी, तंबाकू प्रमुख हैं। तो वहीं दूसरी और आयात किए जाने वाले प्रमुख पदार्थ कपड़ा, नमक और कपास आदि किया जाता है।

सन 1947 से पहले मुंबई में गांधी और जिन्ना के बीच में हिंदू और मुस्लिम मुद्दे पर देश का बंटवारा पर लेकर बहस जोरों पर थी, ठीक उसी समय यहां के एक कश्मीरी पंडित ने हरदोई शहर में मात्र एक ईदगाह के लिए अपनी जमीन मुसलमानों को मुसलमानों की संस्था अंजुमन इस्लामिया को दान में दे दिया। 1947 के बाद जब अयोध्या मंदिर और मस्जिद को लेकर अपरा तफरी का माहौल बना। उस समय रेलवे गंज के मुसलमान व्यापारियों ने अपनी जमीन दान देकर यहां पर एक मंदिर की न्यू रखी थी।

हरदोई लोकसभा का इतिहास:

हरदोई लोकसभा उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीट में से एक है। हरदोई लोकसभा सीट का गठन 1957 में हुआ था, और भारतीय जन संघ हरदोई लोकसभा सीट पर जीत करने में कामयाब रही लेकिन 1957 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने यह सीट छीन लिया था। 1977 तक इस सीट पर कब्जा रहा कांग्रेस का वहीं इमरजेंसी खत्म होने के बाद आम चुनाव में कांग्रेस को हर का सामना करना पड़ा और हरदोई लोकसभा सीट पर कांग्रेस अब तक छह बार चुनाव जीत चुकी है। जबकि तीन-तीन बार भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी ने चुनाव में जीत का परचम लहराया है। अगर बात करें पिछले तीन चुनाव की तो 2004 और 2009 में सपा के उषा वर्मा ने जीत दर्ज किया था। लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में अंशुल वर्मा ने अपना परचम लहराया था। अगर बात करें हरदोई लोकसभा चुनाव 2019 की तो और  आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल मतदाता जनसंख्या 1757116 वहीं पर पुरुष मतदाताओं की जनसंख्या 939958 और महिला मतदाता जनसंख्या 817117, ट्रांसजेंडर 41 मतदाता शामिल हैं।

हरदोई जिला में कुछ घूमने वाले जगह: 

  • संडीला पक्षी विहार अभ्यारण हरदोई शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। संडीला पक्षी विहार चिड़िया की चहचाहट और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है इस अभ्यारण को डेरा झील के नाम से जाना जाता है। इस अभ्यारण बिहार के करीबी तीन वर्ग किलोमीटर झील के रूप में फैला हुआ है।
  • श्री बाबा मंदिर हरदोई जिला के प्राचीन मंदिरों में से एक है। श्री बाबा मंदिर जो की शहर के बीचो-बीच में स्थित है। यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है, कि शहर का बच्चा-बच्चा बाबा मंदिर के नाम से वाकिफ है। साथ ही यहां निवास करने वाले लोगों की इस मंदिर में अत्यंत आस्था हैं।
  • धोबी आश्रम पिहानी: यह स्थान हरदोई जिले में लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान प्राकृतिक जल स्रोत के लिए जाना जाता है। जिसके पीछे महाभारत काल की एक पौराणिक कथा भी है।
  • कंपनी गार्डन: यह सुंदर बगीचा बहुत सुंदर और बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। जहां पर प्रवेश के लिए टिकट लगता है। इस गार्डन का प्रवेश द्वार शहीदे आजम भगत सिंह द्वारा के नाम से जाना जाता है। यहां पर आपको बहुत सारे शहीदों की मूर्तियां देखने को मिलेंगी। 
  • नर्मदा अष्टक मंदिर:  यहां पर आपको एक कुंड देखने के लिए मिलता है। यह कुंड बहुत ही सुंदर लगता है। कुंड के आसपास में आपको देवेश्वर महादेव मंदिर देखने के लिए मिलता है। देवेश्वर महादेव मंदिर में आपको प्राचीन शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलता है। 
  • शीतला माता मंदिर: यह मंदिर हरदोई जिले के संडीला तहसील में स्थित है। यह मंदिर शीतला माता को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन काल से यहां पर है। इसमें आपको एक कुंड देखने के लिए मिलता है, जो बहुत सुंदर है। कुंड के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई हैं। कुंड में शंकर भगवान जी की मूर्ति विराजमान है।
  • कछुआ तालाब: यह तालाब एक बड़ा सा तालाब है। जिसमें आपको बहुत सारे कछुए देखने को मिलेंगे। यह तालाब हरदोई जिले में बिलग्राम तहसील के ग्राम काकोरी खेड़ा में स्थित है। यहां पर कछुओं को पाला जाता है। आप उनको खाना भी खिला सकते हैं। यहां पर इन्हीं कछुओं को पाला जाता है।
  • राजा नरपत सिंह स्मारक: हरदोई शहर के पास एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, राजा नरपत सिंह का स्मारक। वैसे तो यहां कुछ खास घूमने के लिए नहीं मिलता है, लेकिन यहां बस एक स्मारक बना हुआ है। यह स्वतंत्रता सेनानी नरपत सिंह की जन्मस्थली के रूप में माना जाता है। नरपत सिंह ने अपने कुशल और बहादुरी के चलते अंग्रेजों के बड़े फौजी को हराया था।
  • बाबा आदित्यनाथ मंदिर: यह मंदिर हरदोई जिले में बावन गांव में स्थित है। इस मंदिर में आपको शिवलिंग के दर्शन करने को मिलता है। यह मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि औरंगजेब के सैनिकों ने इस मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया था। यहां पर आज भी उनके साक्ष्य मौजूद हैं।
  • घंटाघर: यह पर्यटन स्थल एक बहुत सुंदर इमारत है। जिसमें एक बड़ी घड़ी लगी हुई है। हाल ही में इस घड़ी को बंद कर दिया गया। लेकिन इस को भारत की भव्यता को देखते हुए बनाया गया था। घंटाघर क्रॉप टावर हरदोई शहर में एक पहचान के रूप में है। यह घड़ी साल 1960 तक काम करती रही और इसमें जो सुइयां लगी हुई थी उनकी आवाज 4 से 5 मील तक सुनाई देती थी।
  • शिव संकट मंदिर: शिव संकट मंदिर हरदोई शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह एक बहुत ही प्राचीन सुंदर मंदिर है। ऐसी मानता है कि यहां पर भगवान भोलेनाथ हर भक्तों का संकट हर लेते हैं, और तभी से इस मंदिर का नाम संकट हरण मंदिर है। इस मंदिर में एक बड़ा सा शिवलिंग है।
  • श्री श्रवण देवी मंदिर, पहलाद कुंड हरदोई शहर का एक श्रवण देवी मंदिर भी है और कुंड तथा यज्ञशाला भी है। यह वही स्थान है जहां पर हिरणाकाश्यप की बहन होलिका और पहलाद को लेकर जलती हुई आग में बैठी हुई थी। 
  • नवाब दिलेर खान का मकबरा: यह ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। हरदोई शहर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आज दिलेर खान का मकबरा तो मौजूद नहीं है लेकिन फिर भी उसके अवशेष आज भी शाहाबाद में मौजूद हैं। ऐसा कहा जाता है कि नवाब दिलेर खान एक अफ़गानिक था।
  • हत्या हरण तीर्थ स्थान संडीला: यहां के बारे में पौराणिक कथा यह है कि जब श्री राम ने रावण का वध किया था तो रावण के ब्रह्म हत्या होने के कारण दोस्त लग गया था। इस दोस्त से मुक्त होने के लिए भगवान राम ने इस स्थान पर स्थित सरोवर में स्नान किया था। तब से यह पावन स्थान हत्या हरण के नाम से जाना जाने लगा।
  • सिद्ध पीठ माता काली मंदिर, इस मंदिर के गर्भ गृह में आपको काली जी की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। यह मंदिर पूरे हरदोई शहर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर हरदोई जिले के सीतापुर रोड पर स्थित है। यह मंदिर का मुख्य सड़क पर ही स्थित है।
  • बाबा श्री नीम करोली महाराज मंदिर: यह मंदिर बहुत बड़ा है और बहुत सुंदर है। यहां पर आपको बाबा नीम करोली महाराज जी का दर्शन करने के लिए मिलता है। इसके अलावा यहां बहुत से देवी देवताओं का भी दर्शन करने के लिए मिलता है। बाबा श्री नीम करोली महाराज जी का मंदिर हरदोई जिले के संडीला में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है।

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