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सीतापुर जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

सीतापुर जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

आज के आर्टिकल में हम जानेंगे सीतापुर के बारे में। इस अध्याय में हम पढ़ेंगे सीतापुर के प्राचीन व मध्यकालीन इतिहास के बारे में, सीतापुर के पर्यटन स्थल और धार्मिक स्थल के बारे में, सीतापुर के उद्योग और यातायात के साधन के बारे में। इस अध्याय में हम यह भी जानेंगे की सीतापुर जिले में कितनी तहसीले हैं, ब्लॉक है, राजनैतिक इतिहास क्या रहा।

Table of Contents (toc)

सीतापुर जिला का नाम कैसे पड़ा:

सीतापुर जिला उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। जिले का मुख्यालय सीतापुर शहर में है। यह जिला लखनऊ मंडल के अंतर्गत आता है। फरवरी 1856 में अवध के राजा अधिग्रहण के बाद अंग्रेजों द्वारा सीतापुर को पहली बार एक जिले के रूप में गठित किया गया था। सीतापुर का प्रथम उल्लेख राजा टोडरमल के अंतर्गत में छिटियापुर के नाम से जाना जाता था। कुछ इतिहासकारों का मानना है, कि सीतापुर जिले का नाम राजा विक्रमादित्य ने भगवान राम के पत्नी सीता के नाम पर रखा था।

सीतापुर जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

सीतापुर का प्राचीन इतिहास: 

फरवरी 1856 में अवध राज्य के अधिग्रहण के बाद अंग्रेजों द्वारा सीतापुर को पहली बार जिले के रूप में गठित किया गया था। इससे पहले मुगल सम्राट और फिर अवध के नवाबों के द्वारा इस क्षेत्र को कई प्रशासनिक इकाइयों में विभाजित किया गया था। अकबर के शासनकाल के दौरान सीतापुर जिले को चार प्रकार के रूप में विभाजित किया गया, जो अवध के सुबे के अंतर्गत परिभाषित है। 1856 में अंग्रेजों द्वारा अवध पर कब्जा करने के बाद सीतापुर के खैराबाद डिवीजन में एक नए जिले के रूप में मुख्यालय में सेवा देने के लिए चुना गया था। चौका और घाघरा नदियों के बीच के क्षेत्र में मल्लनपुर आधारित एक अलग जिले का गठन किया गया जो बहराइच डिवीजन का हिस्सा था। 1897 विद्रोह में मदनपुर जिले को समाप्त करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन संघर्ष के समाप्ति के बाद 1858 तक लागू नहीं किया गया और दक्षिणी हिस्से में सीतापुर को मिला दिया गया तब से अभी भी 19वीं सदी की शुरुआत में सीतापुर में चार तहसील और दो परगना को शामिल किया गया था। भौगोलिक रूप से यह गंगा के मैदान में स्थित है, इसकी ऊंचाई पश्चिम में समुद्र तल से 150 मीटर से लेकर दक्षिण और पूर्व में 100 मीटर तक है यह कई धाराओं और नदी नालाओं द्वारा और कई तालाब, उठले जलाशय यहां मौजूद हैं। जो बारिश के समय में मौसम के साथ बहते हैं। लेकिन कुछ स्थान पर गर्मी के मौसम में सूख जाता है। नदियों के किनारे रेतीले घने बालू पाया जाता है, और कई स्थानीय लोग भी धूल के नाम से जानते हैं। समान रूप से क्षेत्र गंगा नदी के अच्छे तरह से एकत्रित गंगा परंपराओं का एक हिस्सा है, गोमती नदी जिले की पूर्वी भाग में बहती हैं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सहायक नदी है और छोटी नदियों को समाहित करती हैं।

सीतापुर जिले का मध्यकालीन इतिहास:

मध्यकाल में सीतापुर पर पासी राजाओं का नियंत्रण में हुआ करता था। महाराज छीता पासी ने सीतापुर को बसाया था। इस क्षेत्र को अपने राज्य का एक प्रमुख हिस्सा बनाया था। महाराज छीता पासी एक वीर पराक्रमी और अत्यंत साहसी राजा थे और सीतापुर का इनको संस्थापक माना जाता है। उनके नाम पर मध्यकाल में सीतापुर को छितियापुर जो बाद में बदलकर सीतापुर हो गया था। सीतापुर का प्राचीन इतिहास और मध्यकालीन इतिहास दोनों गौरवशाली व समृद्धिशाली रहा है। इस क्षेत्र का जिक्र रामायण काल और महाभारत काल से रहा है। वर्तमान समय में पौराणिक काल की स्पष्ट छाप आप देख सकते हैं। जिले में ऐसे तमाम पवित्र धार्मिक स्थल हैं जो सीतापुर पर्यटन नगरी को पवित्र धामों के रूप में प्रसिद्ध बनाते है। 

मध्यकाल के तमाम हिंदू और मुस्लिम राजाओं ने इस जिले पर राज किया था। तुगलक से लेकर और मुगलों तक का शासन रहा। सीतापुर जिला उनके अधीन रहा, जो भी राजा होते थे वह सब दिल्ली सल्तनत के अधीन होते थे। महाराजा परमवीर छीता पासी के शासन के बाद एक मात्र राज्य कभी नहीं रहा था। जिले में तमाम ऐसी इमारत थी जिनका अब अवशेष को ढूंढना भी मुश्किल है, लेकिन अब भी कुछ ऐतिहासिक इमारतें हैं जिसके तने खड़ी हैं जो उनमें झलक साफ दिखाई देता है। प्राचीन काल में यहां पर गुप्त सम्राट का शासन हुआ करता था। यहां पर काफी समय तक शेरशाह सूरी ने शासन किया और अपने शासनकाल के दौरान कई कुएं और तालाब का निर्माण करवाया जो आज भी जिले में मौजूद है।

सीतापुर जिले की तहसीलें, विधानसभाएं, ब्लॉक, थाना, और लोकसभा क्षेत्र: 

सीतापुर जिले की तहसील मिश्रिख, महोली, महमूदाबाद, सीतापुर, लहरपुर, विसवा, सिधौली तहसील है।

सीतापुर जिले में विधानसभाएं, महोली - 145, सीतापुर - 146, हर गांव - 147, लहरपुर - 148, विसवा - 149, सेवता - 150, महमूदाबाद - 151, सिधौली - 152, मिश्रिख - 153

सीतापुर जिले में तीन लोकसभा में सीट आई हैं; सीतापुर, धौरहरा, मिश्रित सुरक्षित लोकसभा सीट है।

सीतापुर जिले में ब्लॉक कितने हैं; ऐलिया, बेहटा, विसावा, गोदलमऊ, हरगांव, कासमंडा, खैराबाद, लहरपुर, मछरेहटा, महमूदाबाद, महोली, मिश्रिख, पहला, परसंडी, पिसवा, रामपुर मथुरा, रेउसा, सरकन, सिधौली।

सीतापुर जिले में थाना की संख्या 27; अटरिया, विसावा, हरगांव, इमलिया सुल्तानपुर, कमलापुर, खैराबाद, कोतवाली, लहरपुर, मछरेहटा, महमूदाबाद, महोली, मानपुर, मिश्रिख, पिसवा, रामकोट, रामपुर कला, रामपुर मथुरा, रेउसा, सदरपुर, सरकन, सदना, सिधौली, तालगांव, तंबौरपुर, थान गांव, GRP सीतापुर, महिला थाना सीतापुर।

सीतापुर के पड़ोसी जिले और उनके नाम:

सीतापुर के उत्तर में खीरी लखीमपुर, पश्चिम में हरदोई, दक्षिण में लखनऊ एवं बाराबंकी, पूर्व में बहराइच जिला की सीमा लगती है।

सीतापुर जिले में पांच नगर पालिका और 6 नगर परिषद हैं ।

सीतापुर में प्रमुख रूप से बोली जाने वाली भाषा अवधि, हिंदी और उर्दू है।

सीतापुर जिले गांव में रहने वाली जनसंख्या 88.6% है।
सीतापुर जिले का शहरों में रहने वाली जनसंख्या 11.84% है।

सीतापुर जिले में 1601 ग्राम पंचायत है।
सीतापुर जिले में गांव की संख्या 2248 है।
सीतापुर जिले की आबादी 4483992 है (2011 की जनगणना के अनुसार)
सीतापुर में पुरुषों की जनसंख्या 2375264 है 
सीतापुर में महिलाओं की जनसंख्या 2108728 है
सीतापुर जिले का पिन कोड नंबर 261001 है 
सीतापुर जिले में आईटीओ नंबर  UP34 है
सीतापुर जिले की आवश्यक साक्षरता दर 61% है, जो राष्ट्रीय आवश्यक साक्षरता दर से 74% से काम नहीं होना चाहिए। सीतापुर जिले में पुरुषों की साक्षरता दर 70.13% है 
और महिलाओं की साक्षरता दर 50.67% है 
सीतापुर जिले में लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 888 लड़कियां जन्म लेती हैं।
सीतापुर जिले में 1000 में से 112 लड़कियां कम जन्म लेती हैं

सीतापुर जिले में हिंदू लगभग 80% और मुस्लिम की जनसंख्या 19% है और दो प्रतिशत अन्य धर्म के लोग रहते हैं।

सीतापुर जिले में प्रमुख नदियां; गोमती, काधन, घाघरा, सरेन, शारदा, तिरई, आदि नदियां बहती हैं।

सीतापुर जिले की अर्थव्यवस्था: 

उत्तर प्रदेश की जनसंख्या घनत्व में सीतापुर जिला आठवें स्थान पर है, जबकि जनसंख्या घनत्व हर व्यक्ति 781 प्रति वर्ग किलोमीटर है।

सीतापुर जिला कालीन और दरी के लिए काफी प्रसिद्ध है, जिले के अधिकांश लोग दरी के उद्योग में काम करते हैं।

सीतापुर जिले की अर्थव्यवस्था की बात करें तो आर्थिक रूप में एक तरह कृषि गतिविधियों का केंद्र है जो क्रमशः गेहूं, मक्का, चावल, उड़द, गन्ना, चना, मटर, सरसों, मूंगफली, आदि नगदी फसलों बोई जाती हैं। विशेष रूप से जिले में पूर्वी भाग पर किसानों के द्वारा पुदीना और पिपरमिंट की खेती की जाती हैं। नदियों की घाटी और रेतीले मिट्टी में आलू, मूंगफली, अदरक आदि का उत्पादन करते हैं। केले के बाग हमेशा किसानों के बीच में लोकप्रिय रहा है। तो दूसरी ओर उद्योग चारों तरफ फैला हुआ है अधिकांश कच्ची कृषि उत्पादन पर आधारित है, जिनमें प्लाई बोर्ड, चीनी, चावल, कागज की मिले अपनी प्रमुखता बनाए हुए हैं।

सीतापुर जिले में हर वर्ष 10000 टन गन्ने की 5 मीलों के द्वारा पराई की जाती है। सीतापुर जिले में पांच चीनी मीले हैं। सीतापुर जिले में पूर्वी जिले की तरह सीतापुर में भी रोजगार के लिए लोग प्लायन भारत के बड़े शहरों की तरफ रोजगार पाने के लिए लोग करते हैं, जिले में अधिक बड़े उद्योग न होने के कारण लोगों का पलायन अन्य शहरों व अन्य राज्यों में, देशों में जारी है। 

सीतापुर जिले के वीर:

सीतापुर की धरती पवित्रता के साथ-साथ गौरवशाली भी रही है। स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम में जिले के तमाम लोगों ने अपनी प्रतिष्ठा और जान का न्योछावर कर दिया तब से सीतापुर वीरों की भूमि है। 1921 में असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ जिले के हजारों लोगों ने भाग लिया था। कारगिल के युद्ध में इस जिले की बीरबल दानी मनोज पांडे की वीर गाथा युग युग तक अमर रहेगी  भारत और पाकिस्तान के बीच में 1999 में कारगिल नामक युद्ध लड़ा गया था। 1999 का इतिहास स्वर्ण अक्षरों में अंकित है इस जीत के तमाम नायकों में सीतापुर जिले के कैप्टन मनोज पांडे का नाम आता है। मनोज पांडे अपना मोर्चा संभालते हुए मनोज पांडे ने भी दुश्मनों के चार टैंकर को नष्ट कर दिया था। दुश्मनों को मारते हुए पाकिस्तान सुना के बीच में घुस गए वहां वह अकेले ही दुश्मनों के काल बनकर उभरे थे, और मैदान सफा कर दिया युद्ध के दौरान उनको कई गोलियां लगी थी और शहीद हो गए। बाद में भारत सरकार ने उनके साहस और वीरता के लिए परमवीर चक्र से नवाजा था।

सीतापुर जिला में यातायात के साधन:

सीतापुर जिले में रेल मार्ग की बात करें तो यहां 38 रेलवे स्टेशन है। सीतापुर जंक्शन मुख्य रेलवे स्टेशन है, जिसका स्टेशन कोड SP है। पांच प्लेटफार्म और आठ ट्रैक मौजूद है। लखनऊ, सीतापुर, खीरी लखीमपुर, पीलीभीत, बरेली, कासगंज लाइन पर मौजूद सीतापुर जंक्शन नॉर्थ ईस्ट जोन लखनऊ एन आई आई एन रीजन के अंतर्गत आता है। सीतापुर रेलवे स्टेशन से सत्याग्रह एक्सप्रेस स्पेशल कामाख्या, गोरखपुर, गोंडा एक्सप्रेस है। आज तमाम रेल गाड़ियां रेलवे स्टेशन से होकर गुजरती हैं, और भारत के विभिन्न शहरों से जोड़ती हैं। 

सड़क मार्ग की बात करें तो सीतापुर जिले के मध्य से नेशनल हाईवे संख्या 24 गुजरता है। जोकि सीतापुर को बरेली और लखनऊ से जोड़ता है। इसके अलावा सीतापुर जिले महत्वपूर्ण और कई छोटे बड़े बाईपास सड़क मौजूद हैं जो कि यहां से अन्य शहरों को जाने के लिए एक अच्छी तरह से सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। इसके अलावा यहां पर बस स्टैंड भी मौजूद है जो की रोडवेज बस स्टैंड के माध्यम से सीतापुर को लखनऊ, कानपुर, आगरा और अन्य बड़े शहरों तक बस सेवा के माध्यम से जा सकते हैं। वही बात में सीतापुर जिले में कोई भी वायु मार्ग या हवाई अड्डा नहीं है। लेकिन लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यहां से सबसे प्रमुख हवाई अड्डा है, जो सीतापुर जिले से लगभग 104 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सीतापुर के तीर्थ एवम पर्यटन स्थल:

खैराबाद सीतापुर का एक प्राचीन ऐतिहासिक शहर है। राजा विक्रमादित्य के समय में ये एक प्रमुख तीर्थ स्थल हुआ करता था। कुछ लोगों का मानना है, कि 11वी शताब्दी में खैराबाद शहर की स्थापना कि गई थी। खैराबाद वही स्थान है, जहां पर शेरशाह सूरी और सुमे के बीच में भीषण युद्ध हुआ था। जिसमें हिमायू की बुरी तरह से हार हुई थी। खैराबाद में कई बड़े-बड़े उर्दू के शायर भी हुए हैं। जिनमें से अवल फैसल खैराबादी का जन्म हुआ यही हुआ था और भारत में जो प्रसिद्ध शायर थे। 

माता ललिता देवी यह मंदिर मुख्य रूप से मां ललिता देवी को समर्पित है। यहां पर मान्यता यह है, की यहां मां का हृदय गिरा था। शक्तिपीठ मां ललिता देवी जो हिंदू समुदाय के लोगों के लिए एक विशेष मुख्य मंदिर माना जाता है। यहां पर हमेशा भक्तों को भीड़ रहती है।

सीतापुर ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी तरक्की किया है, केंद्रीय विश्वविद्यालय और नवोदय विद्यालय ने भी शिक्षण कार्य में काफी योगदान दिया है।

सीतापुर जिला चिकित्सा के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है, यहां सुप्रसिद्ध आंखों का अस्पताल दुनिया भर में मशहूर है।

सीतापुर जिले की महान हस्तियां:

राजा टोडरमल एक महान योद्धा, योग प्रशासनिक और अकबर शासन काल के दौरान मुगल सम्राट के वित्त मंत्री थे। वह वकील सुल्तान के संयुक्त वजीर भी थे। अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक थे, 10 जनवरी 1503 ई को सीतापुर जिले के लहरपुर गांव में उनका जन्म हुआ था। 
नरोत्तम दास हिंदी के प्रमुख साहित्यकार थे। उनका एकमात्र काव्य खंड सुदामा चरित्र है। जो की हिंदी साहित्य के अमूल्य धरोहर माना जाता है, यह भी कहा जाता है, कि ध्रुव चरित्र विचार माला ग्रंथ की रचना भी इन्होंने ही की थी। इनका जन्म सीतापुर जिले के सिधौली तहसील के बारी गांव में हुआ था।
रामलाल राही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और केंद्रीय सरकार में 1991 से 1996 में पूर्ण मंत्री रहे, वह नरसिम्हा राव सरकार में गृह मंत्री और राज्य मंत्री भी रहे और मिश्रिख से चार बार सांसद सीतापुर जिले के हर गांव से दो बार विधायक रहे इसके अलावा उनके पास कई महत्वपूर्ण पद भी रहा था। रामलाल राही का जन्म सीतापुर के धाकड़ गांव की में हुआ था।
डॉक्टर महेश प्रसाद महेरिया, एक भारतीय नेत्र विशेषज्ञ और सीतापुर नेत्र अस्पताल के संस्थापक थे। वहीं पर भारतीय चिकित्सा परिषद की डॉक्टर बी. सी. रोपाई पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे। जो चिकित्सा श्रेणी में सर्वोच्च भारतीय पुरस्कार था। भारत सरकार ने उनको 1975 में चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था, और इसके बाद में 1970 में चिकित्सा विज्ञान में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
रियाज खैराबादी प्रसिद्ध लेखक और उर्दू के कवि थे। सैयद रियाज अहमद का जन्म 1853 में सीतापुर जिला जिले के खैराबाद में हुआ था। इनके कई पत्रिकाएं और उपन्यास प्रकाशित किया गए।
वजीहित हुसैन मिर्जा शेख एक भारतीय पटकथक लेखक और फिल्म निर्देशक थे। जिन्होंने 1950 से 1960 के दशक में भारत की कुछ फिल्म में संबंध में लिखा था। जिन में से मुग़ल-ए-आज़म इंडिया फिल्म शामिल थी।
सुशील सिद्धार्थ हिंदी के कवि, लेखक, आलोचक संपादक और व्यंग्य कर थे। वह एक पत्रकार भी थे और कई पत्रिका के संपादक थे। उनकी वयंकर के लिए 2017 में पद्म भूषण श्री से सम्मानित किया गया था। इनका जन्म सीतापुर जिले के हरपुर गांव में हुआ था।
मुख्तार अनीश एक भारतीय राजनेता थे, जो कि समाजवादी योजना सभा के अध्यक्ष रहे थे। मुख्तार अनीश ने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी के विचार से प्रभावित होकर 1969 में समाजवादी पार्टी के योजना की सदस्यता ली। वर्ष 1977 में पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद तीन बार मंत्री भी रहे 1996 में सांसद बने। लोग इनको गांधी भी कहते थे। मुख्तार अनीश मूल्यत सीतापुर जिले के ताबोर कस्बे के रहने वाले थे।
राजेश वर्मा एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रहे। वही 1993 में 13में लोकसभा 2004 में 16 मे लोकसभा और उत्तर प्रदेश के सीतापुर निर्वाचन क्षेत्र से 17वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए थे। वहीं पर सीतापुर के बोर्ड के निवासी थे।
राधेश्याम जयसवाल एक भारतीय राजनीतिक जो सलाह में यूपी विधानसभा के सदस्य थे उन्होंने अक्टूबर 1996 मार्च 2017 तक उत्तर प्रदेश के सीतापुर निर्वाचन क्षेत्र से राजनीतिक प्रतिनिधित्व किया और समाजवादी पार्टी के राजनीतिक दल के सदस्य रहे।
राजेंद्र कुमार गुप्ता उत्तर प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के नेता थे वह पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य इकाई के अध्यक्ष भी रहे, सीतापुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी थे। 
कल्याण सिंह जी ने सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य भी किया था।
नरेंद्र सिंह वर्मा एक भारतीय राजनीतिक थे जो कि समाजवादी पार्टी के सदस्य थे। वहीं पर सीतापुर के महमूदाबाद से विधायक हैं और कुल मिलाकर छह बार विधायक चुने गए।

सीतापुर के ऐतिहासिक स्थल:

सीतापुर के ऐतिहासिक स्थल जो कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है, बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं। नीम सारण का इतिहास ऋषि मुनि और देवताओं की तपोस्थली से है। नीम सारण तीर्थ स्थल भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के सीतापुर जिले में पड़ता है। इस पवित्र स्थान का कई पुराणों में बहुत बार जिक्र हुआ है। इसका जिक्र रामायण काल में भी मिलता है। इस पवित्र तीर्थ स्थल पर एक जल कुंड है। जिसका पानी सीधे पाताल लोक से आता है। लोगों का मानना है, नीम सारण उत्तर प्रदेश की राजधानी से 80 किलोमीटर दूरी पर सीतापुर जिले के गोमती नदी के तट पर स्थित है। यह एक हिंदू तीर्थ स्थल है। भारत की सनातन संस्कृति नीम सारण को पवन धाम के नाम से भी जाना जाता है। इस तीर्थ स्थल का उल्लेख कई हिंदू ग्रंथ और पुराणों में हुआ है। यह पवित्र स्थान 88000 ऋषि मुनि की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है। पुराणों के अनुसार कहा जाता है, कि जब भगवान ब्रह्मा जी जब पृथ्वी का विस्तार करना आरंभ करने की शुरूआत कर रहे थे तब इस विस्तार कार्य को मां शतरूपा को सौंप दिया था। उन्होंने यहां पर 23000 वर्ष तक कठोर तपस्या किया था। इस तपोभूमि पर ऋषि दाधीच ने अपने हस्तियों को देवताओं के राजा इंद्र को दान दे दिया था। ताकि वह असुरों का विनाश कर सकें। शास्त्रों में एक कथा के अनुसार एक समय असुरों के भय से दुखी होकर ऋषिगण ब्रह्मा जी के पास गए और ब्रह्मा जी से कहा कि सृष्टि के रचयिता हमें पृथ्वी पर ऐसी जगह बताओ जहां हमें बिना भय और बिना डर के धर्म कार्य को अनुष्ठान कर सकें। ऋषि के इस निवेदन पर ब्रह्मा जी ने अपना चक्र घुमाकर जब पृथ्वी पर चक्र छोड़ा और ऋषियों से कहा कि जिस जगह पर यह चक्र जाकर गिरेगी वह भूमिगत हो जाएगा वहीं पर आप निवास करें। वही किसी असुर दानव का कोई डर नहीं रहेगा। इस स्थान के संबंध में एक और कहानी प्रचलित है, कहा जाता है कि यहां पर भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र गिरा था। इसलिए इस तीर्थ स्थान को चक्र के नाम से भी जाना जाता है। नीम सारण में चक्र तीर्थ स्थल भूतेश्वर व्यास, गद्दी हवन कुंड, मां ललिता देवी मंदिर, पांचो प्रज्ञा आज भी प्रमुख मंदिर हैं। जो पूरे देश के आकर्षण का केंद्र है। यहां पर एक सरोवर भी है, जिसका मध्य भाग गोलाकार रूप में बना हुआ है आश्चर्यजनक की बात यहां है जिसका मध्य भाग गोलाकार रूप में बना हुआ है यहां लगातार जल निकलता रहता है। यहां मानता है कि इसमें पाताल लोक से अच्छा जल स्रोत आता है। इसलिए इनमें हमेशा जल विद्यमान रहता है। यहां स्वामी नारद जी, भारतद्वाज जी का आश्रम था। यहां ब्रह्मचर्य परंपराओं के अनुसार इच्छा समाप्त करवाते थे। ऐसा माना जाता है कि कलयुग में समस्त तीर्थ नीम सारण क्षेत्र में निवास करेंगे।

सीतापुर में धार्मिक पर्यटन स्थल:

सीतापुर से लगभग 63 किलोमीटर दूरी पर महमूदाबाद किला, महमूदाबाद में स्थित है। इस किले की स्थापना 1677 में इस्लाम के पहले खलीफा राजा मोहम्मद खान ने महमूदाबाद राज्य में की थी। आज यहां कोठी एक महत्वपूर्ण संस्कृति का केंद्र और धार्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
रुद्रा वती मंदिर सीतापुर जिले में स्थित एक प्राचीन चमत्कारी मंदिर है। यह मंदिर गोमती नदी के किनारे बना हुआ है। इस मंदिर में एक कुंड में शिव भगवान जी का शिवलिंग पानी के अंदर विराजमान है।
श्री साईं बाबा मंदिर सीतापुर जिले में एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में साईं बाबा जी का दर्शन करने को मिलता है। यह मंदिर सराय नदी के किनारे बना हुआ है। यहां सराय नदी का सुंदर दृष्ट देखने के लिए मिलता है।
शिव मंदिर खैराबाद, शिव मंदिर सीतापुर जिले का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर सीतापुर जिले में खैराबाद में स्थित है। वहीं पर एक तालाब देखने के लिए मिलता है। यह तालाब चौकोर आकार में बना हुआ है। तलाक के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई है, और तालाब के किनारे शिव भगवान जी का मंदिर बना हुआ है।
बाबा श्याम नाथ जी मंदिर सीतापुर का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में प्राचीन शिव भगवान जी का शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलता है। मंदिर के पास एक कुंड बना हुआ है। कुंड के बीचों बीच में शंकर जी की प्रतिमा को रखा गया है। यह मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना है।
भोले नाथ मंदिर सीतापुर जिले का प्रसिद्ध यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर सराय नदी के किनारे बना हुआ है। आप यह घूमने के लिए आ सकते हैं। शिव भगवान जी के दर्शन कर सकते हैं।
संकटा देवी मंदिर सीतापुर जिले का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर सीतापुर जिले में महमूदाबाद तहसील में स्थित है। यह मंदिर संकटा देवी को समर्पित है। मंदिर में संकटा देवी की बहुत ही सुंदर प्रतिमा दर्शन करने के लिए लोग आते हैं। मंदिर के पास में ही तालाब बना हुआ है।
देवेश्वर सारन धाम सीतापुर का एक धार्मिक तीर्थ स्थल है। यह मंदिर गोमती नदी के किनारे बना हुआ है। यहां मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के लिए लोग आते हैं।
रामेश्वरम धाम गंगासागर तीर्थ स्थल सीतापुर का एक धार्मिक स्थल है। यह सीतापुर जिले में रामकोट गांव में स्थित है। यहां पर लोगों को प्राचीन मंदिर देखने को मिलता है। इस मंदिर में एक कुंड बना हुआ है। इसको कुछ लोग गंगासागर तीर्थ स्थान के नाम से जानते हैं, इस कुंड का पानी पवित्र है।

सीतापुर जिले का राजनीतिक इतिहास:

सीतापुर लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव 1952 में हुआ था। 1952 का चुनाव गांधी परिवार की उमा नेहरू गांधी ने जीता था। 1957 का चुनाव उमा नेहरू ने ही जीता, लेकिन 1962 और 1977 में भारतीय जनसंघ पार्टी ने चुनाव जीता और उपस्थिति दर्ज करवाई। कांग्रेस 1971 में फिर से वापस आई इस दौरान पूरे देश में इमरजेंसी लग गई और 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया, लेकिन इसके बाद 1980, 1984, 1989 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने चुनाव जीता था। लेकिन 1991 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज किया। इसके बाद में 1996 में भाजपा ने जीत दर्ज किया और 1999 से लेकर 2009 तक लगातार यह सीट बहुजन समाज पार्टी के पास ही रही थी। लेकिन 2014 से 2019 में मोदी लहर में यह सीट भाजपा के राजेश वर्मा ने जीता था।

लोकसभा क्षेत्र सीतापुर जिला की विधानसभाएं:

सीतापुर, लहरपुर, विसवा, सेवता और महमूदाबाद आती हैं। 2022 की विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक विधानसभा सीट लहरपुर से चुनाव जीता और भारतीय जनता पार्टी ने सीतापुर, विसवा, सेवता और महमूदाबाद सीट पर चुनाव में जीत दर्ज किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार सीतापुर सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 1653454 थी। जबकि वहीं पर पुरुष मतदाता संख्या 883895, महिला मतदाता संख्या 769582, वहीं पर बात करें तो ट्रांसजेंडर 68 मतदाता है।

लोकसभा क्षेत्र धौरहरा का इतिहास:

धौरहरा लोकसभा क्षेत्र का 2008 में शुरुआत होता है, और 2009 में पहली बार लोकसभा का चुनाव संपन्न होता है। जिला सीतापुर और लखीमपुर खीरी के कुछ हिस्सों से मिलकर लोकसभा क्षेत्र धौरहरा बनाया जाता है। 2009 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था। जिस पर कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद ने इस सीट पर पहली बार चुनाव जीतकर सांसद बने और संसद पहुंचे। साल 2014 के दूसरे चुनाव में जितिन प्रसाद चुनाव हार गए थे। बीजेपी की रेखा वर्मा ने मोदी लहर में यह सीट जीता था। और 2019 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन होने से यहां की लड़ाई दिलचस्प हो गई थी। लेकिन फिर भी भाजपा की रेखा वर्मा ही दांव खेल दूसरी बार जीत कर संसद पहुंची।
इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की पांच सीट आती है।  इसमें लखीमपुर खीरी की 3 (धौरहरा, कस्ता सुरक्षित और मोहम्मदी) और सीतापुर की 2 (महोली और हरगांव सुरक्षित सीट) विधानसभा सीट हैं। अगर बात करें 2019 में लोकसभा चुनाव के आंकड़ों की तो कुल मतदांता संख्या 1634417 हैं, वहीं पुरुष मतदाता की संख्या 879400, महिला मतदाताओं की संख्या 754920 और ट्रांसजेंडर 97 मतदाता है।

लोकसभा क्षेत्र मिश्रिख सुरक्षित:

उत्तर प्रदेश के एक लोकसभा मिश्रिख लोकसभा सीट है। अगर बात करें मिश्रिख सुरक्षित सीट, तो लोकसभा का इतिहास क्या रहा था। साल 1962 में यह सीट वजूद में आई थी, इस सीट पर हुए चुनाव पहली बार चुनाव में जनसंघ पार्टी के गोकर्ण प्रसाद ने चुनाव जीता था। साल 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस के संकटा प्रसाद ने चुनाव में जीत का परचम लहराया। जबकि आपातकाल के बाद में 1977 में चुनाव में जनता पार्टी से रामलाल राही जीते थे। लेकिन बाद में रामलाल राही कांग्रेस में शामिल हुई हो गए। साल 1980 में भी उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज किया। 1984 में उनके जगह पर संकटा प्रसाद को टिकट दिया गया। वहीं सांसद चुने गए। साल 1989 और 1991 में फिर से रामलाल राही ने बाजी मारी सांसद बनकर संसद पहुंचे। इस सीट पर साल 1996 में प्रागीलाल और 1998 में बसपा के राम शंकर भर्गो ने जीत दर्ज किया। जबकि साल 1999 समाजवादी पार्टी ने अपना खाता खोला था। सुशीला सरोज सांसद बनी। उसके बाद 2004 और 2009 में बसपा के अशोक कुमार रावत ने जीत दर्ज किया। अगर बात करें पिछले दो लोकसभा चुनाव में तो इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कमल खिला है। 2014 में अंजू बाला और 2019 में अशोक कुमार रावत ने मोदी लहर में बाजी मारी। मिश्रिख लोकसभा के तहत कुल पांच विधानसभा सीट आती हैं। जिनमे हरदोई जिले की बालामऊ सुरक्षित सीट, संडीला, बिलग्राम, मल्लावां, जबकि सीतापुर जिले की मिश्रिख सुरक्षित और कानपुर देहात जिले की बिल्हौर सुरक्षित सीट विधानसभा सीट आती हैं। वही बात करें 2022 के विधानसभा चुनाव में मिश्रिख लोकसभा की अंतर्गत आने वाली विधानसभाओं पर बीजेपी का कब्जा रहा था। और तीन जिलों से मिलकर मिश्रिख लोकसभा सुरक्षित सीट बनाई गई है। यह मिश्रिख लोकसभा पिछले एक दशक में भाजपा का गढ़ रहा। 
2019 के लोकसभा चुनावों के आंकड़ों के अनुसार। मतदाताओं की संख्या 1779700 है, वही पुरुष की संख्या 967830, महिला मतदाताओं की संख्या 811793 है और ट्रांसजेंडर की संख्या 77 है।

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