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लखनऊ जिला – पूरा प्राचीन इतिहास, प्रसिद्ध वन्य अभ्यारण व नैशनल पार्क, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

लखनऊ जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। लखनऊ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी है। लखनऊ प्राचीन समय में कौशल राज का हिस्सा था। लखनऊ नाम कैसे पड़ा "लखनऊ" पहले लखनऊ को लक्ष्मण वटी, लक्ष्मनपुरी, लखनपुर के नाम से जाना जाता है जो बाद में बदलकर लखनऊ हो गया उसे समय के बाद वास्तविक बिना लखन पार्टी की देखरेख में एक किला बनवाया गया था जो लखनऊ किले के नाम से जाना जाता था समय के साथ धीरे-धीरे लखन किला लखनऊ में परिवर्तित हो गया लखनऊ शब्द कहां से आया आज भी मतभेद जारी है। सन 1920 में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से जो अब वर्तमान में प्रयागराज है, बदलकर लखनऊ कर दिया गया प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में न्यायालय की एक खंडपीठ स्थापित की थी।

लखनऊ जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

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लखनऊ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां

लखनऊ जिले में कुल पांच तहसील हैं; बक्शी का तालाब, मलिहाबाद, मोहनलालगंज, सदर लखनऊ, सरोजनी नगर।

लखनऊ जिले के अंतर्गत 8 ब्लॉक हैं और उनके नाम मलिहाबाद, चिनहट, बक्शी का तालाब, काकोरी, गोसाईगंज, सरोजिनी नगर, मोहनलालगंज, मल।

लखनऊ में पुलिस थाना की संख्या 43 है, उनके नाम क्रमशः हैं; अलीगंज, आलमबाग, अमीनाबाद, आशियाना, बाजारखाला, बंथरा, बख्शी का तालाब, चौक, कैंट, चिनहट, गोमती, नगर, गुडुम्बा, गाजीपुर, गौतम, पल्ली, गोसाईगंज, हसनगंज, हजरतगंज, हुसैनगंज, इंदिरा नगर, इंतौंजा, जानकीपुरम, कैसरबाग, कृष्णानगर, काकोरी, महानगर, महिला थाना, मानक नगर, मोहनलालगंज, मंडियाओं, मलिहाबाद, मॉल, नाका, नगरम, निगोहां, सआदतगंज, सरोजनी नगर, तालकटोरा, ठाकुरगंज, विकास नगर, वजीरगंज, पैरा, पी.जी.आई., विभूति खण्ड

लखनऊ जिला में ग्राम पंचायत की संख्या 540 है और गांव की संख्या 961 है।

लखनऊ जिले में कुल आबादी 4589838
पुरुषों की आबादी 2394476
महिलाओं की आबादी 2195362

लखनऊ जिले में 77% हिंदू और मुस्लिम 20% सिख 0.052% इसी 0.045% जैन 0.08% जैन 0.011% के लोग रहते हैं।

लखनऊ जिला में 9 विधानसभा सीट हैं लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तरी, लखनऊ पूर्वी, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंट, मोहनलालगंज, बक्शी का तालाब, मलिहाबाद, सरोजिनी नगर।

लखनऊ जिले में दो लोकसभा सीट हैं; लखनऊ और मोहनलालगंज

लखनऊ के पूर्व में बाराबंकी दक्षिण में रायबरेली दक्षिण और पश्चिम कोने पर उन्नाव उत्तर और पश्चिम कोने पर हरदोई तथा उत्तर में सीतापुर जनपद से घिरा हुआ है।

लखनऊ का क्षेत्रफल 2528 वर्ग किलोमीटर है

लखनऊ की प्रमुख नदियां; गोमती, सईं, बेहटा, कुकरैल, नगवा, अकराडी, कदू आदि नदिया बहती हैं।

लखनऊ के मध्य में गोमती नदी बहती है और लखनऊ के उत्तर भाग में सई नदियां बहती हैं।

लखनऊ का इतिहास

नवाबों का शहर लखनऊ बड़ी-बड़ी इमारतें भव्य भवन नवाबों के समय काल में बनवाया गया लखनऊ आज पूरे दुनिया का नवाबों के शहर के नाम से जाना जाता है मुगलों और नवाबों के आने से पहले लखनऊ सुंदर भवन इमारतें गलियों कोर्ट और मंदिर के रूप में विख्यात था इन प्राचीन मंदिर और गलियों का निर्माण यहां पर राज कर रहे पासी राजाओं ने करवाया था आज से लगभग हजारों साल पहले लखनऊ का नाम लखन पासी के नाम से जाना जाता था लखनऊ के आसपास के क्षेत्र में पासिंग का आधिपत्य था जिनमें एक मजबूत क्षेत्र हां राज था और पूरे उत्तर भारत में अपनी विजय का पताका फहराते थे। मध्यकालीन युग में लखनऊ के आसपास जिले में पासियों का अधिपत था।

मध्यकालीन में जब पश्चिम एशिया से आक्रमणकारी आए तो इन्हीं पासी राजाओं ने उनका वीर पूर्वक मुकाबला किया। इसका उल्लेख ब्रिटिश शासन काल के गजेटियर में मिलता है। एक अन्य कथा के अनुसार रामायण काल में श्री रामचंद्र के छोटे भाई इस टीले पर रुके थे दर असल यह क्षेत्र गोमती नदी के किनारे ऊंचाई पर होने के कारण सुरक्षा के दृष्टि के इतिहास से उपयोगी था। उनको यह क्षेत्र काफी पसंद आया तब से यह क्षेत्र लक्ष्मणपुर कहा जाने लगा था। लेकिन टीले पर वास्तु कला का निर्माण 10वीं और 11वीं शताब्दी के बीच में राजा लाखन पासी के द्वारा किया गया था। लखनऊ का पुराना नाम लखनपुर था जो लाखन पासी के नाम से विख्यात था। बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों के द्वारा विध्वंस करवा दिया गया था। जहां पर आज टीले वाली मस्जिद है वहीं पर राजा लाखन पासी का भव्य महल हुआ करता था। जहां पर आज पासी के भवन महल और अन्य इमारतें थीं। वहीं पर बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, टीले वाली मस्जिद और किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज उपस्थित है। इस टीले पर मंदिर हुआ करता था। जिसका निर्माण लाखन पासी ने करवाया था। क्योंकी लाखन पासी नागवंशी थे और शिव भगवान की उपासक थे। नागपुर में होने के कारण शिव के मंदिर को बनवाया था। लखनऊ का इतिहास बतौर लाखन पासी का नाम लिए बिना बिल्कुल अधूरा है। जबकि नवाबों और मुस्लिम मुगलों के आने से पहले सुंदर मंदिर, गढ़िया आदि लाखन पासी द्वारा निर्माण करवाया गया था। महाराजा लाखन पासी एक वीर कुशलता योद्धा थे। जिनका मुकाबला सैयद सालार मसूद गाजी के सेनापतियों से हुआ। लाखन कोर्ट की लड़ाई में राजा लाखन पासी वीरगति को प्राप्त हुए थे। बाद में विदेशी आक्रमणकारियों ने लाखन के किले और महलों को विध्वंस करने में कोई कसर नहीं छोड़ा था। 12वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी के बीच में जब शेरशाह सूरी पठान जब लखनऊ में आबाद हो रहे थे, तो उनका पहला निशाना लिखना वटी के शीश तीर्थ नाग मंदिर पर था। वहीं नाग मंदिर को बनवाया था। उस वक्त दिल्ली पर मुगलों का शासन था। यहां के सेवक का सरगना और समीर के समीर शाह मोहम्मद ने लाखन टीले पर अतिक्रमण कर लिया था। उनकी मृत्यु के बाद किले पर दफना दिया गया। शेख शहजादे लाखन टीला ना कह कर मोहम्मद साहब टीला कहने लगे और बचे कुछ हिंदू तीर्थ स्थान को बाद में औरंगजेब अपने गवर्नर सुल्तान अलीशा कुली खान को आदेश दे दिया तोड़ने का और वहीं पर टीले वाली मस्जिद का निर्माण करवाया। लखनऊ प्राचीन काल में मुख्य हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में प्रमुख था। इसलिए छोटी काशी भी कहा जाता था। जिसमें महाराज लाखन पासी ने सुंदर गढ़िया, इमारत, कोर्ट बनवाकर आवाद किया था और लाखन पासी ने लखनऊ को बसाया था।

इसका प्रमाण गजेटियर अन्य इतिहासकार के किताबों में जिसका उचित परिणाम मिलता है, "द पासी ऑफ उत्तर प्रदेश" न्यू दिल्ली रजिस्टर्ड जनरल इंडिया ऑफ होम मिनिस्ट्री के पेज नंबर 8 पर मिलता है। लखनऊ का नाम राजा लाखन पासी के नाम पर पड़ा था।

Lucknow

श्री योगेश प्रवीन की पुस्तक "दस्ताने लखनऊ" के पृष्ठ संख्या 7 पर लाखन पासी का सर कटा कर सहजादों ने जिस नाले में फेंका था वह नाला सर कटा नाला कहलाता है। साही दरबारों में सजा ए मौत के समय भी इस नाले का इस्तेमाल जारी रहा। पेज नंबर 168 पर एक कविता लिखी है ए रे लखनऊ....
 
Lucknow

लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह ने अपने छोटे से दौर में 500 औरतों से निकाह किया था।

लखनऊ लोकसभा सीट का इतिहास

आजादी के बाद 16 बार लखनऊ लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ है। इनमें से सबसे ज्यादा सात बार भारतीय जनता पार्टी और छह बार कांग्रेस लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रही। इसके अलावा जनता दल, भारतीय लोक दल और निर्दलीय ने एक-एक बार जीत दर्ज किया है। लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुआ था। कांग्रेस के शिववती नेहरू ने जीत दर्ज कर पहली बार सांसद बनी और गौरव प्राप्त किया। इसके बाद कांग्रेस ने लगातार तीन बार चुनाव में जीत हासिल की थी। लेकिन 1967 में हुए आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार आनंद नारायण ने अपनी जीत का परचम लहराया था। इसके बाद 1971 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस की शीला कॉल सांसद बनी। आपातकाल के समय में 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा भारतीय लोक दल पार्टी से चुनाव जीत कर संसद पहुंची। 1980 में एक बार फिर कांग्रेस की शीला कॉल को यहां से चुनावी मैदान में उतर कर वापसी किया। वही 1984 में चुनाव जीत कर तीसरी बार सांसद बनी और कामयाबी हासिल की। 1989 में कांग्रेस के हाथ से यह सीट जनता दल के मानदत्त सिंह के पास चली गई। तब से दोबारा कांग्रेस यहां वापसी नहीं कर पाई। 90 के दशक में बीजेपी के गद्दर नेता अटल बिहारी वाजपेई लखनऊ संसदीय सीट से मैदान में उतरकर जीत की कामयाबी हासिल किया। जो सिलसिला शुरू किया वह थमा नहीं और पिछले 7 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी लगातार जीत दर्ज कर रही है। अटल बिहारी वाजपेई लगा पांच बार सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2009 में उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए लाल जी टंडन को भाजपा ने मैदान में उतरा तो उन्होंने जीत दर्ज की जिसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के तत्कालीन पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपनी किस्मत आजमाई और कांग्रेस की गीता बहुगुणा ज्योति को हराकर लोकसभा पहुंचे। तब से अभी तक राजनाथ सिंह लखनऊ लोकसभा से सांसद हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में पांच विधानसभा सीट आई हैं जिस पर भाजपा का कब्जा है, और उनके नाम लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तरी, लखनऊ पूर्वी, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंट, मोहनलालगंज।

लोकसभा मोहनलालगंज सीट हर राजनीतिक दल के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि राजधानी लखनऊ से बिल्कुल सटी हुई है। इसलिए हर पार्टी इसे जीतना चाहती हैं। यह सीट 1962 में अस्तित्व में आई थी तब से अब तक इस पर 15 बार चुनाव हो चुके हैं। 1962 में हुए चुनाव में कांग्रेस की गंगा देवी ने जीत हासिल की थी। गंगा देवी ने 1971, 1977 में इस सीट पर चुनाव जीता था। लेकिन आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोक दल के रामजी लाल कुरील ने यहां से चुनाव में जीत दर्ज की थी। लेकिन 1980 के चुनाव में कांग्रेस के कौशल ने यहां से चुनाव में जीत हासिल की थी। 1984 में कांग्रेस नेता जगन्नाथ प्रसाद ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 1989 में जनता दल ने यहां से जीत हासिल कर कांग्रेस के रथ को रोक दिया। फिर कांग्रेस यहां दोबारा वापस नहीं आ सकी। 1991 और 1996 भाजपा के छोटेलाल ने यहां से चुनाव जीत दर्ज़ की। लेकिन 1998 और 1999, और 2009 तक समाजवादी पार्टी के लगातार जीत जारी रखी और 2014 में भाजपा के कौशल किशोर यहां से सांसद चुने गए। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के कौशल किशोर पर ही दाव लगाया वर्तमान में मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के नेता आर चौधरी सांसद हैं। 

लोकसभा मोहनलालगंज के अंतर्गत पांच विधानसभा सीट आती हैं। उनके नाम कुछ इस प्रकार है; सिधौली विधानसभा, सीतापुर जिले की विधानसभा सीट है, और चार विधानसभा लखनऊ जिले की आती हैं। मोहनलालगंज, बक्शी का तालाब, सरोजिनी नगर, मलिहाबाद।

अगर एक नजर डालें 2019 होने वाले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर तो कुल मतदाता संख्या 1956335 है जिसमें पुरुष मतदाता की संख्या 1049051 वहीं पर महिला मतदाता संख्या 907245 वहीं पर ट्रांसजेंडर 62 मतदाता शामिल है।

लखनऊ के धार्मिक स्थल:

भूतनाथ मंदिर लखनऊ शहर में प्राचीन मंदिर में से एक है। इस प्रसिद्ध मंदिर के देवता भगवान शिव हैं, और इस मंदिर के परिसर में हनुमान जी की विशाल मूर्ति है। मंदिर के अंदर भगवान शिव, पार्वती, गणेश, काली माता और कई देवी देवताओं के छोटे बड़े मंदिर आपको देखने को मिलेगा। इस मंदिर के संस्थापक बाबा भूतनाथ थे। उनकी भी मूर्ति देखने को मिलती है। बाबा भूतनाथ की समाधि यहीं पर है। इसलिए इस मंदिर का नाम भूतनाथ पड़ा था।

उत्तर प्रदेश का यह भव्य विशाल मंदिर इसकी मान्यता सदियों से भक्तों के बीच चली आ रही है। इस पौराणिक शिव मंदिर को आज के समय में भवरेश्वर नाम से जाना जाता है। इसके इतिहास के कुछ पन्नों को पलटने तो द्वापर युग में जब पांडवों ने अपनी माता कुंती के साथ वनवास गए थे तब उन्होंने इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी। तब इस मंदिर का नाम भीमाशंकर था। उसके बाद में कसौटी की घटना हुई थी इस कारण मंदिर को भवरेश्वर नाम मिला और भवरेश्वर मंदिर के गर्भ गृह के शिवलिंग को चमत्कारी शिवलिंग माना जाता है। इस मंदिर का नाम भवरेश्वर पढ़ने के पीछे ऐसा माना जाता है कि मुगल शासन काल में जब भारत के सभी मंदिर को ध्वस्त किया जाता था तब मुगल शासन और औरंगजेब ने यह मंदिर के शिवलिंग को खुदवाने का आदेश दिया था। कई बार प्रयास करने पर सफलता नहीं मिली फिर भी वह खुदाई नहीं रोक रहे तब उन्हे खुदाई के दौरान भारी संख्या में भवरे वहां पर प्रकट हुए और खुदाई करने वालों पर हमला कर दिया जिससे डर कर वह भाग निकले थे। इस चमत्कार के बाद गांव और आसपास इलाके के लोगों ने शिव मंदिर बनाकर पूजा अर्चना शुरू कर दी इस तरह से महादेव के इस मंदिर का नाम भवरेश्वर पड़ा था। 

इस घटना के बाद में यह मंदिर प्रसिद्ध हो गया था। आगे चलकर सिधौली के राजा रामपाल की पत्नी ने इस मंदिर को भव्य खूबसूरत निर्माण करवाया जिसमें शिव के साथ और कई अन्य देवी देवताओं की स्थापना करवाया था। फिर लोग लोगों के बीच इस मंदिर की मान्यता बढ़ती गई और दूर-दूर से भक्त आने लगे दर्शन करने के लिए। आज भी मंदिर के प्रति भक्तों के बीच आस्था चली आ रही है। शिव भगवान का यह मंदिर भवरेश्वर धाम नाम से लखनऊ में साइ नदी के तट पर बसा हुआ है।

लखनऊ का हनुमान मंदिर : आधुनिक लखनऊ को आने वाले समय में ऐसे दर्शाया जाएगा कि आने वाले वक्त में अनूठी आधुनिक कला को साबित करे। मंदिर का नाम हनुमत धाम है। जिसका निर्माण पिछले 7 वर्षों से चल रहा था। अब यहां का द्वारा 6 जुलाई 2022 से पूर्ण रूप से सभी भक्त के लिए खोल दिया गया है। इस भव्य मंदिर का नाम हनुमत धाम है। इसकी बनावट देखकर आप निश्चित मन मोह जाएगा। मंदिर के अंदर आपको ऐसा मनमोहक नजारा देखने को मिलेगा जो आपके दिल जीत लेगा। मंदिर से आपको गोमती नदी भी बहती दिखाई देगी जो इसकी सुंदरता को चार चांद लगा देती है। आपको मंदिर की विशेषता बताते चलें मंदिर में प्रवेश करते हुए कई छोटे बड़े मंदिरों के दर्शन होंगे इसमें एक तरफ गणेश जी और दूसरी तरफ नौ ग्रहों के मंदिर शामिल है। यह मंदिर मुख्य रूप से शंकर भगवान और हनुमान जी को समर्पित है। यहां पर बड़ा सा हवन कुंड भी बना हुआ है। जहां पर भगवान शंकर जी की बहुत सुंदर मूर्ति बनी हुई है। जो इस मंदिर को आकर्षित कर देती है। मंदिर के अंदर ठीक सामने शिवलिंग स्थापित है साथ ही शिव पार्वती और उनके गोद में विराजमान गणेश जी मंदिर के दोनों तरफ ढके हुए हैं। बाद ही प्यारा सा शिवलिंग को पकड़े हुए हनुमान जी हैं इस मंदिर के दर्शन करने के लिए जब आप आगे की ओर प्रस्थान करेंगे तो आपको मां दुर्गा के दर्शन भी प्राप्त होते हैं।

श्री श्री राधा रमण बिहारी मंदिर इसको इस्कॉन मंदिर के नाम से जाना जाता है। जो कि शहीद पथ के पास में स्थित सुशांत सिंह गोल्ड सिटी में है। लगभग 6400 एकड़ में बना हुआ इस्कॉन मंदिर है। श्री श्री राधा रमण बिहारी जी का यह मंदिर है जो इस्कॉन मंदिर अगर आप जैसे प्रवेश करते हैं तो सारी चीज जो की बिल्कुल और इसमें नजर आती हैं भगवान श्री कृष्ण के रंग में शराब और नजर आते हैं बहुत ही सिस्टमैटिक तरीके से यह मंदिर बना हुआ है यह जो प्रांगण है वह करीब 4.30 एकड़ में प्रांगण है इस प्रांगण में श्री कृष्ण वाटिका से लेकर गौशाला सब कुछ यहां पर बिल्कुल व्यवस्थित बनाया गया बना हुआ है श्री कृष्ण वाटिका में भी अभी जो सीसी आर राधा रमण बिहारी जी का मंदिर है जो भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है वहां पर आप दर्शन कर सकते हैं यह यही पास में ही भव्य मंदिर जो प्रांगण इस्कॉन मंदिर का है, इसमें जो गौशाला है, जिसमें खास किस्म की गाये जो गिरी प्रजाति की गाय बोली जाती हैं उनका यहां पर पालन किया जाता है। यहां जो गौशाला है, इसमें चार गायों को गुजरात से लाया गया था और जो गिरी पद जाति की हैं। गाय की बात करें तो इसकी खासियत जो दूध देती है वह बड़ा ही स्वादिष्ट और पोषण वर्धन सुगंधित होता है। बड़ी खास किस्म की गाय होती हैं। इनको यहां पर गौशाला में रखा गया है। यहां समय-समय पर श्रीमद् भागवत का पाठ और भक्तिमय कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।

श्री श्री राधा रमण बिहारी मंदिर

लखनऊ में घूमने वाली जगह:

अंबेडकर पार्क लखनऊ के गोमती नगर इलाके में बना हुआ है। इसका निर्माण मिश्रित गुलाबी पत्थर से किया गया है। जो रात के झिलमिलाहट रोशनी में बहुत सुहाना लगता है। हर साल इस बेहतरीन और स्ट्रक्चर वाले पार्क में अंबेडकर जयंती के दिन बड़े धूमधाम से बाबा भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। इसका निर्माण उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बहन कुमारी मायावती जी के द्वारा 2008 में करवाया गया था। पार्क के अंदर 100 हाथियों का खूब पसंदीदा मूर्ति है जो देखने में बिल्कुल आपको जीवित लगेगी बिल्कुल भी फीलिंग नहीं होगी यह मूर्ति है या जीवित हाथी घूमने के लिए सोच रहे हैं।

लखनऊ का मरीन ड्राइव गोमती नगर इलाके में स्थित मरीन ड्राइव लखनऊ पर्यटन स्थल में सबसे ज्यादा पसंदीदा जगह में से एक है। यहां शाम होते ही दर्शन करने वालों की भारी संख्या उमड़ पड़ती है। आपने मुंबई के मरीन ड्राइव का नाम सुना होगा लेकिन एक बार लखनऊ घूमने आए तो लखनऊ के मरीन ड्राइव को शाम की चंद्र रोशनी के खूबसुरती को देखते हुए जाएंगे। 

Marine Drive Lucknow

म्यूजिकल फाउंटेन चारबाग रेलवे स्टेशन से लगभग चार से पांच किलोमीटर दूरी पर राजा जी पुरम कॉलोनी में मौजूद शिकायत राय नामक इस जिले में निर्मित संगीत फव्वारे का इमेज रूप फ्रांस के मंगवाया गया था। जो शाम होते ही शहर की खूबसूरत को और निखार देती है। तरह-तरह के संगीत के साथ संगीत के धुन पर झूमते काफी ज्यादा सुकून भरा पल रहता है। दिन के समय में लखनऊ की यात्रा और लखनऊ घूमने की जगह को देखने के बाद शाम की समय इस बेहतरीन फाउंटेन को देखने को आप आ सकते हैं। 

लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा : ये लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस बेहतरीन इमामबाड़े का निर्माण 1754 में मजदूरों को रोजगार देने के उद्देश्य से असफुता दौला के द्वारा निर्माण करवाया गया था। इसे बनवाने में 14 साल का समय लगा था। इस इमामबाड़े हाल एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा माना जाता है। जिसे पूरा घूमने के लिए लगभग 2 से 3 घंटा लग सकता है। इस इमामबाड़े का प्रवेश शुल्क ₹50 है। 

लखनऊ चिड़ियाघर चारबाग रेलवे स्टेशन से लगभग 3 से 5 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। इस चिड़ियाघर में विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी मुक्ति बिहार करते देखा जा सकता है। चिड़ियाघर के अंदर बेहतरीन झील में पर्यटक पैदल बोर्ड का बेहतरीन आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा रेलगाड़ी, हाथी की सवारी कर सकते हैं। आनंद उठाने के लिए तो पहुंच जाएं लखनऊ। इस चिड़ियाघर में कई विलुप्त हो चुके प्रजाति के पशु पक्षी भी देखे जा सकते है।

आनंदी वाटर पार्क : लखनऊ की यात्रा के दौरान यहां की ऐतिहासिक धरोहर मंदिर को घूमने के बाद आप आनंदी वाटर पार्क घूम सकते हैं। आनंदी वाटर पार्क में कई प्रकार के राइड उपलब्ध हैं। जिनमें से मुख फना राइड और समुद्री लहरों का आकर्षण है। जब आप वाटर पार्क में टिकट लेने के लिए जाएंगे तो आप को सीमित के द्वारा स्विमिंग और नाश्ता आदि मुहैया करवाया जा सकता है। यहां पर पहुंचने के लिए लखनऊ की इंदिरा नगर के समीप अयोध्या वाली रोड पर जो उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा वाटर पार्क में से एक है।

जनेश्वर मिश्र पार्क : लखनऊ के गोमती नगर में स्थित यह पार्क लगभग 3575 एकड़ में फैला हुआ है। जिसका निर्माण समाजवादी पार्टी ने करवाया था। पार्क के दूसरी छोर आने पर 40 एकड़ में फैला खूबसूरत कृत्रिम झील यहां पर आने वाले प्रेरकों के मन को प्रसन्न करती है। ये एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा पार्क है। जिसका निर्माण 6 अगस्त 2012 से शुरू होकर 5 अगस्त 2014 को पूरा हुआ था। इसको समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी के द्वारा निर्माण करवाया गया था।

लखनऊ एयरपोर्ट चौधरी चरण सिंह इंटरनेट नेशनल एयरपोर्ट जिसका कोड LKO है। जब भी आप सर्च करते हैं इस एयरपोर्ट को जब ओपन किया गया था। तब इतनी सारी चीज नहीं थी इस एयरपोर्ट को 1986 में ओपन किया गया था। इसे 36 साल पहले ओपन किया गया था। जो अमौसी में मौजूद है जो कि लखनऊ से 14 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इसे अमौसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी कहा जाता है। साथ-साथ लखनऊ एयरपोर्ट भी कहा जाता है। एयरपोर्ट के अंदर पार्किंग की व्यवस्था भी है। टर्मिनल की बात करें तो चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट में दो टर्मिनल है। तीसरा टर्मिनल पर कार्य चल रहा और जल्द कार्य पूरा हो जाएगा। टर्मिनल 1 में आपको इंटरनेशनल फ्लाइट मिल जाएगी और टर्मिनल 2 में आपको डोमेस्टिक फ्लाइट। यहां पर आपको सारी व्यवस्था मिल जाएगी खाने पीने के लिए। सभी समान आपको मिलेगा। हम आपको बता दें कि विस्तारा, इंडिगो, गो फास्ट इस तरीके से फ्लाइट एयरलाइन एयर इंडिया, आकाश एयर, एशिया एक्सप्रेस और एयर इंडिया की सारी फ्लाइट आपको यही से मिलेंगे। दिल्ली, बैंकॉक या आपको कहीं भी जाना हो देश-विदेश जा सकते हैं। बाहर हिस्से में ऑटो और ई रिक्शा से आप शहर के किसी भी स्थान पर जा सकते हैं। टर्मिनल 1 में टर्मिनल 2 में भी कैब मिल जाएगी। चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट के सबसे नजदीकी अमौसी रेलवे स्टेशन है जो 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। जो लखनऊ कानपुर रेलवे लाइन को जोड़ती है। और चारबाग रेलवे स्टेशन आप जाने चाहते हैं तो चारबाग रेलवे स्टेशन 14 किलोमीटर की दूरी पर पड़ेगा।

लखनऊ रेलवे स्टेशन दो लाइन को रिप्रेजेंट करता है छोटी लाइन और बड़ी लाइन दोनों अलग-अलग रेल रेलवे लाइन है। स्टेशन है और एक ही कैंपस के अंदर हैं और दोनों ही 100 मीटर की दूरी पर पहला रेलवे स्टेशन लखनऊ चारबाग इसका स्टेशन कोड LKO है यह रेलवे स्टेशन नॉर्थ रेलवे स्टेशन के अंदर आता है, और बड़ी लाइन को रिप्रेजेंट करता है। लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आगे की तरफ जाती हैं। इसका मतलब दिल्ली आदि बड़े शहरों को जाती हैं। दूसरा रेलवे स्टेशन का नाम लखनऊ जंक्शन जिसका कोड LJN नॉर्थ रेलवे द्वारा मैनेजिंग किया जाता है, और यह छोटी लाइन को रिप्रेजेंट करता है। इस रेलवे स्टेशन से आगे की तरफ नहीं जाती है मतलब यह सिंगल रेलवे लाइन है जो भी ट्रेन आती हैं यहां पर रुक जाती हैं। यह रेलवे स्टेशन आप लोग लास्ट स्टेशन भी कह सकते हैं। क्योंकि कई ट्रेनों का लास्ट स्टेशन होता है। लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन की शुरुआत 30 मार्च 1914 में की गई थी इसका पुराना नाम ऑर्डर टू दो खंड रेलवे स्टेशन 23 मार्च 1866 में इसे रेलवे स्टेशन को लखनऊ कानपुर लाइन पर खोला गया था। जिसका ऑर्डर टू दो खंड रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में 194 रेलवे स्टेशन के माध्यम से जुड़ा हुआ है। शहर के दक्षिण में चारबाग स्थित है इसलिए इसका नाम बदलकर चारबाग रेलवे स्टेशन रखा गया। चारबाग रेलवे स्टेशन की डिजाइन J H होमिमन ने बनाया था। इस रेलवे स्टेशन को बनाने की शुरुआत 1914 में हुई थी और ये रेलवे स्टेशन 1923 में बनकर तैयार हो गया था। इस रेलवे स्टेशन की डिजाइन में राजपूत अवध के राजा और मुगलों आकर्षित प्रदेश दिखाया गया है। इस रेलवे स्टेशन की मुख्य विशेषता यह है एयरप्लेन व्यू में आप देखेंगे तो आपको सेटेलाइट की तरह दिखाई देगा। भारत के खूबसूरत रेलवे स्टेशन में चारबाग रेलवे स्टेशन को एक माना जाता है। यह रेलवे स्टेशन काफी सारी लाइन को जोड़ता है, जैसे वाराणसी जौनपुर अयोध्या लखनऊ लाइन आती है। वाराणसी रायबरेली लखनऊ लाइन आती है। वाराणसी जौनपुर सिटी सुल्तानपुर कानपुर लखनऊ लाइन आती है। लखनऊ कानपुर बाराबंकी लखनऊ सब और बने रेलवे स्टेशन लखनऊ मुरादाबाद लाइन और लखनऊ गोरखपुर लाइन चारबाग रेलवे स्टेशन भारत के कुछ प्रमुख में से एक है एक रोज में से 300 से अधिक गाड़ियां लखनऊ रेलवे स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर 6 प्लेटफार्म है वहीं मुख्य रेलवे स्टेशन लखनऊ कानपुर समान रेलवे स्टेशन और लखनऊ नई दिल्ली लाइन आती है। लखनऊ NR लखनऊ NER लखनऊ जंक्शन छोटी लाइन बड़ी लाइन यहां कुछ ऐसे नाम है जो आप लोगों को कंफ्यूज कर देते हैं ।
 
इकाना स्टेडियम : उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इकाना स्टेडियम बनाने की 2015 में घोषणा की और 2017 के पहले तिमाही के लखनऊ के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इकाना स्टेडियम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा नाम बदलकर अटल बिहारी इकाना स्टेडियम रखा गया 50000 दर्शकों की क्षमता वाले यह इकाना स्टेडियम करीब 30300 एकड़ में बना हुआ है। भारत का तीसरा जबकि विश्व का 
छठा सबसे बड़ा स्टेडियम है

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