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दुधवा नेशनल पार्क | Dudhwa National Park | लखीमपुर खीरी | UP EXAM GURU

दुधवा नेशनल पार्क उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित है। यह लखिमपुर खीरी से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर भारत - नेपाल सीमा से सटा हुआ एक विशाल जंगल है। यहां के जंगली जानवर जैसे बाघ, बारासिंघा, हिरण आदि जानवरों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। ये वन क्षेत्र उन में शामिल है जहां विभिन्न प्रकार के वनस्पति और वन्य जीव की प्रजातियां प्राकृतिक रूप से पाई जाती हैं। दुधवा उद्यान को दो भागों में विभाजित किया गया है; पहले "किशनपुर वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी" और दूसरा "कतर्निया घाट वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी"। दुधवा नेशनल पार्क से किशनपुर वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है तथा खीरी लखीमपुर से कतर्निया घाट वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी की दूरी लगभग 1.5 किलोमीटर है। 

दुधवा नेशनल पार्क | लखीमपुर खीरी | UP EXAM GURU

अब आपको बताते हैं दुधवा नेशनल पार्क कैसे पहुंचे, तो दुधवा नेशनल पार्क पहुंचने के लिए तीन रास्ते हैं। आप अपने सुविधा अनुसार किसी भी रास्ते से आ सकते हैं। यदि लखीमपुर खीरी जिले के आसपास के हैं, तो आप दुधवा नेशनल पार्क के बारे में जानते होंगे। आप अपने सुविधा अनुसार दुधवा नेशनल पार्क घूमने आ सकते हैं। अगर आप दिल्ली से दुधवा नेशनल पार्क आते हैं, तो इसके लिए दिल्ली से शाहजंहपुर के लिए कई ट्रेने आती हैं। और शाहजहांपुर से दुधवा के लिए से हर 10 से 15 मिनट पर बस चलती रहती हैं। शाहजहांपुर से दुधवा नेशनल पार्क की दूरी लगभग 113 किलोमीटर है। अगर आप लखनऊ से दुधवा नेशनल पार्क आ रहे हैं, तो लखनऊ जंक्शन से मैलानी जंक्शन के लिए साप्ताहिक ट्रेन चलती है। गोरखपुर-मैलानी एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 05009 सुबह लखनऊ जंक्शन से 7:25 a.m पर मिलेगी जो मैलानी जंक्शन पर अपने निर्धारित समय 11:55 a.m पर उतार देगी। मैलानी जंक्शन से दुधवा नेशनल पार्क लगभग 37 किलोमीटर दूरी पर है। मैलानी जंक्शन पहुंचने के बाद हर 10 से 15 मिनट पर बस चलती रहती है, दुधवा नेशनल पार्क के लिए।

आप लखनऊ से लखीमपुर खीरी बस से भी आ सकते हैं। उसके बाद लखीमपुर खीरी से दुधवा नेशनल पार्क के लिए 10 से 15 मिनट पर बस आपको मिल जाएगी। लखनऊ से खीरी लखीमपुर की दूरी लगभग 134 किलोमीटर और लखीमपुर खीरी से दुधवा नेशनल पार्क की लगभग 90 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। दुधवा नेशनल पार्क पहुंच गए हो तो घूमने के लिए ऑनलाइन एवम ऑफलाइन जिप्सी बुक कर सकते हैं। और जंगल की सफारी कर सकते हैं। आप लोग होटल की बुकिंग भी कर सकते हैं। हम आपको बता दें दोस्तों दुधवा नेशनल पार्क कब आना चाहिए, तो दुधवा नेशनल पार्क पर्यटकों के लिए 15 नवंबर से लेकर 15 जून तक खुला रहता है। इसके बीच यहां पर कभी भी आ सकते हैं। दोस्तों यदि आप जंगल सफारी का भरपूर आनंद लेना चाहते हैं, और किशनपुर वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी का भी मजा लेना चाहते हैं व साथ में लखीमपुर खीरी भी घूमना चाहते हैं, तो इसके लिए कम से कम आप तीन दिन और दो रात का प्लान कीजिए और एक रात लखीमपुर खीरी में गुजार लीजिए और एक रात दुधवा में। इससे आप आपने ट्रिप का भरपूर आनंद लेंगे। 

Dudhwa National Park

अब हम आपको बताते हैं जंगल में कैसे घूमना है। जंगल में सफारी जिप्सी अगर टाइगर देखने के लिए कर रहे हैं तो किसी चिड़ियाघर चले जाइए और आप जंगल सफारी जाने का प्लान बिल्कुल कैंसिल कर दीजिए। आदि दुधवा में आप अच्छे से घूमना चाहते हैं तो जंगल का भरपूर आनंद लीजिए और हर चीज का आनंद लीजिए अगर टाइगर देखने के लिए चक्कर में रहे तो आपके जिप्सी का ड्राइवर प्रेशर में रहेगा वह भी गाड़ी तेज से भगाएगा फिर आप जंगल का कुछ आनंद नहीं ले पाएंगे और दूसरे चीज दोस्तों आप ध्यान रखिए जंगल में यहां लगभग तीन घंटे के आसपास सफारी करें और ड्यूरेशन में आप जिप्सी से कई जगह घूम सकते हैं उसमें आप चार जगह पर आप 10 से 15 मिनट तक समय दें जो इस प्रकार हैं पहले जगह बात रोल यहां पर आप 10 से 15 मिनट रुकिए और उसके बाद आनंद लीजिए फिर उसके बाद आगे बढ़कर बैंक तालाब पर रुके और फिर उसके बाद तीसरी जगह एसडी सिंह रोड और एसडी सिंह मचान थोड़ा रुके उसके बाद में यहीं सेशकूरपुर में जाकर चाय पानी कर लीजिए, उसके बाद में गुलेरी घाट पर रुकिए यहीं से आप जंगल का लुफ्त लीजिए, देखिए आनंद लीजिए उसके बाद में जंगल आनंद लीजिए।

Dudhwa National Park

दुधवा नेशनल पार्क उत्तर प्रदेश का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान मोहन और सहेली नदियों के बीच 775 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र को 1861 में आरक्षित घोषित कर दिया गया था। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। जो प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। वह सभी प्रजाति, जीव-जंतु, पशु-पक्षी पाए जाते हैं। वहीं पर बड़ी संख्या में हिरण कई प्रजाति के पाई जाती है। अथवा बाघ, तेंदुआ, बारहसिंगा, हाथी, सियार, लकड़बग्घा और एक सींघ वाला गैंडा यहां पर पाया जाता है। यहां पर लगभग 400 से अधिक प्रजातियां पाई जाती है।

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