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श्रावस्ती जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

श्रावस्ती जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

श्रावस्ती जनपद का गठन और नाम कैसे पड़ा:

श्रावस्ती जनपद का गठन दिन दिनांक 22 मार्च 1997 को हुआ था। दिनांक 31 मार्च 2004 को शासन के द्वारा इस जनपद को अस्तित्व में समाप्त कर दिया गया तथा पुनः जुलाई 2004 को यह जनपद अस्तित्व में आया। विभिन्न ग्रंथों के अलग-अलग मत हैं। बौद्ध ग्रंथ के अनुसार श्रावस्तिक नाम के एक ऋषि यहां रहते थे जिनके नाम के आधार पर श्रावस्ती नाम पड़ा। महाभारत ग्रंथ के अनुसार श्रावस्ती नाम, श्रावस्तिक राजा के नाम पर पड़ा था और सनातन ग्रन्थ के अनुसार श्रावस्ती का नाम सरवाष्टक राजा के नाम पर पड़ा था। यहां लोग इन्हे नगर के जन्मदाता के रूप में लोग मानते थे और उनके नाम पर श्रावस्ती जिला का नाम पड़ा था ऐसा कहा जाता है।

श्रावस्ती जिला उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जिला है, जो उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। उत्तर प्रदेश के 75 जिला में से एक श्रावस्ती जिला है, श्रावस्ती जिला उत्तर प्रदेश के उत्तर पूर्व भाग में बसा हुआ है। श्रावस्ती जिला बहराइच जिला के पश्चिम दिशा की ओर 40 किलोमीटर पर स्थित है। उत्तर प्रदेश के इस जिले की पहचान पूरे विश्व भर में है। क्योंकि यह जिला एक बहुत बड़े तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। श्रावस्ती जिला पहले बहराइच जिला का हिस्सा हुआ करता था, बाद में श्रावस्ती को 2004 में एक अलग जिला बनाया गया था। इसका मुख्यालय भिनगा में है, जो श्रावस्ती जिला से 55 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। भगवान बुद्ध के समय में यह जिला कौशल की राजधानी हुआ करती थी। 

श्रावस्ती जिला का प्राचीन इतिहास:

प्राचीन काल में यह नगर चारों ओर गहरी और चौड़ी खाई से घिरा हुआ था, इसके अलावा आसपास एक सुरक्षा दीवार भी थी, जिसके चारों दिशाओं में एक दरवाजा बना हुआ था। चीनी यात्री फाह्यान और हॉन्ग सॉन्ग ने श्रावस्ती की सुरक्षा दीवार का उल्लेख किया है। श्रावस्ती नगर अचरावती नदी के तट पर बसा हुआ है अचरावती नदी की पहचान आधुनिक समय में राप्ती नदी से की जाती है। श्रावस्ती से भगवान बौद्ध के जीवन का बहुत महत्वपूर्ण संबंध है, भगवान बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश इसी स्थान पर दिया था, और अपने जीवन के अंतिम 25 वर्ष इसी जिले के धरती पर बिताए थे। श्रावस्ती बौद्ध तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ जैन धर्म और हिंदू धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि जैन धर्म के तीसरे तीर्थंकर शंभू नाथ और आठवीं तीर्थंकर चंद्र चांद प्रभा नाथ  का जन्म स्थल मानी जाती है और यहां महावीर स्वामी ने एक वर्ष अपना समय बिताया था। प्राचीन समय के अवशेष श्रावस्ती के शहर "सहेट महेट" नामक स्थान पर प्राप्त हैं। महाकाव्य और महाप्राण में श्री राम के पुत्र लव की राजधानी बताई जाती है।

श्रावस्ती जिले में तीन तहसील हैं: उनके नाम भिनगा, जमुनहा और इकौना तहसील हैं।

श्रावस्ती जिले में पांच ब्लॉक हैं: जिसमे हरिहरपुर, रानी सिरसिया, जमुना, इकौना, गिलौला आदि शामिल हैं।

श्रावस्ती जिले में 7 थाना हैं: उनके नाम हैं भिनगा, गिलौला, मल्हीपुर, सिरसिया, सोनवा, महिला थाना, इकौना।

श्रावस्ती जिले में ग्राम पंचायत की संख्या 400 है।

श्रावस्ती जिले की प्रमुख भाषा: श्रावस्ती की मुख्य भाषा हिंदी और अवधि है।

श्रावस्ती जिले की प्रमुख फैसले; धान, गेहूं और गन्ना है, लेकिन कुछ किसान सब्जियों की खेती भी करते हैं।

श्रावस्ती जिले की लखनऊ से दूरी 185 किलोमीटर है। 
श्रावस्ती जिले के दक्षिण में बहराइच, पूर्व में गोंडा, उत्तर में बलरामपुर व नेपाल देश की सीमा लगती है।

जनसंख्या 1141615 (2011) की जनगणना के अनुसार 

पुरुष की जनसंख्या 594318
महिला की जनसंख्या 520297

श्रावस्ती जिले में साक्षरता दर 46.74% है 
श्रावस्ती जिले का क्षेत्रफल 1948.20 वर्ग किमी है

श्रावस्ती जिला का राजनीतिक इतिहास:

उत्तर प्रदेश की श्रावस्ती लोकसभा सीट का नंबर 58 है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा की पांच सीटों में से एक है,  तुलसीपुर, बलरामपुर, गोसादी, भिंगा और श्रावस्ती।

साल 2008 के बाद में यह निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया, साल 2009 में श्रावस्ती में पहली बार चुनाव हुआ था। जिसमें कांग्रेस के विनय कुमार पांडे और विष्णु ने बहुजन समाज पार्टी के रिजवान जहीर को हराया था। श्रावस्ती के पहले सांसद बनने का रिकॉर्ड अपने नाम किया लेकिन साल 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के दद्दन मिश्रा का कब्जा हो गया। भाजपा से सांसद बनने से पहले दद्दन मिश्रा वैज्ञानिक प्रायोजित पर्यावरण एवं वन्य संबंधित मामले के स्थाई सदस्य भी थे। संसद के सदस्य के रूप में उन्होंने उपस्थित दर्ज करवाई। 2014 में सपा दूसरे नंबर पर और बसपा तीसरे नंबर पर, PECP चौथे नंबर पर थी। साल 2019 में श्रावस्ती लोकसभा सीट से सपा वह बसपा के गठबंधन के प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा ने जीत दर्ज किया। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले राम शिरोमणि वर्मा को बसपा से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद में वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। 2024 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी की टिकट पर श्रावस्ती लोकसभा से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे अब तक वर्तमान में राम शिरोमणि वर्मा सांसद हैं।

श्रावस्ती के धार्मिक व पर्यटक स्थल: 

बुद्धिस्ट मंदिर श्रावस्ती का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में आपको भगवान बुद्ध जी की बहुत ही बड़ी प्रतिमा देखने को मिलती है, यह प्रतिमा गोल्डन केसर की बहुत सुंदर लगती है। ये जगह मेडिटेशन के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

विभूति नाथ मंदिर: इस मंदिर के गर्भ ग्रह में आपको शिव भगवान जी का पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर प्राचीन काल का कहा जाता है और इस मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया था। यहां पर और भी प्राचीन प्रतिमा देखने को मिल जाती है, सोहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण नेपाल और भारत सीमा के पास बलरामपुर और श्रावस्ती जिले में स्थित है। लगभग 452 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है "सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण" श्रावस्ती का एक मुख्य पर्यटक स्थल में से एक है। यहां पर बहुत खूबसूरत जंगल और जंगली जानवर देखने के लिए मिल जाते हैं। विपशयना साधना केंद्र पिक्चर साधना केंद्र का एक मुख्य स्थल है। यहां पर बहुत देसी और विदेशी पर्यटक आते हैं। यह मुख्य हाईवे सड़क पर स्थित है, जहां पर चारों तरफ से आपको प्राकृतिक माहौल देखने के लिए मिलता है। यहां आकर बहुत शांति मिलती है, पक्की कुट्टी या अंगुलिमाल स्तूप, पक्की कुट्टी महल क्षेत्र में सबसे बड़ा किले में से एक है। इसे अंगुलिमाल स्तूप के अवशेष के रूप में माना जाता है। श्रावस्ती के बस स्टेशन से 3 किलोमीटर दूरी पर अंगुलिमाल स्तूप या पक्की कुट्टी  स्थित है। जो एक बहुत प्राचीन स्तूप है। महत पुरातात्विक स्थल जहां पर आपको बुद्ध विहार मंदिर के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं। 18वीं शताब्दी से उत्खनन कार्य हुआ था। यहां पर आपको जैन मंदिर अंगुलिमाल स्तूप या पक्की कुट्टी, सोमनाथ दरवाजा, इल्म दरवाजा, नो सहारा दरवाजा देखने के लिए मिलता है। चेतन पुरातत्व क्षेत्र में आपको बहुत सारे पुरातत्व जगह देखने के लिए मिल जाती है। चेक वन श्रावस्ती के सहित में स्थित है ऐसा मानता है कि भगवान बुद्ध ने यहां पर 24 से 25 वर्ष बिताए थे। 1836 ईस्वी में यहां पर एक बार उत्खनन कार्य किया गया जिसमें बहुत सारे मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए। सीता द्वार मंदिर श्रावस्ती का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर को पौराणिक मानता है और कहा जाता है कि लौ और कुश का जन्म यहीं पर हुआ था। एक बार माता सीता को बहुत जोर से प्यास लगी थी, तो लक्ष्मण ने माता सीता के लिए बाण चलाकर धरती से जल की धारा निकली थी और माता सीता ने जल पीकर अपनी प्यार बुझाई थी। यहां पर आपको कुछ कुंड देखने को मिलेगा। 

श्रीलंकन बौद्ध मंदिर शहर का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में भगवान बौद्ध की प्रतिमा सुंदर मूर्ति देखने को मिल जाती है। यहां पर आपको बुद्ध भगवान से जुड़ी हुई बहुत सारी पेंटिंग्स देखने के लिए मिलती हैं। यहां पर चेतवन पुरातत्व विभाग स्थल के पास यह मंदिर स्थित है। श्री शंभू नाथ मंदिर, दिगंबर जैन मंदिर आदि श्रावस्ती के प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत सफेद संगमरमर पत्थर से बना हुआ है। गर्भ ग्रह में सफेद पत्थर से बनी हुई बहुत ही सुंदर शंभू नाथ जी की प्रतिमा देखने को मिलती है। 

श्री राम बंद श्रावस्ती का एक प्रमुख स्थान है यह पैन घने जंगलों में स्थित है आपको चारों तरफ से हरे-भरे पौधे देखने को मिल जाते हैं दूर तक फैला बन देखने के लिए मिलता है। यह बंद सुहेलदेव वन अभ्यारण में स्थित है। विश्व शांति घंटा पार्क श्रावस्ती का एक सुंदर पार्क है जहां पर आपको बहुत बड़ा और प्राचीन सुंदर घंटा देखने के लिए मिलता है। यहां पर बहुत सारी भाषाओं में घंटे के ऊपर कुछ लिखा हुआ है यह शायद मंत्र होगी आप यहां इन शब्दों को पढ़ सकते हैं। यहां पर सुंदर गार्डन बना हुआ है।

काली मंदिर श्रावस्ती का सुंदर मंदिर है। यह मंदिर प्राचीन काल से हैं। मंदिर की स्थापना यहां के राजा द्वारा की गई थी इस मंदिर में काली माता की बहुत सुंदर प्रतिमा का दर्शन करने के लिए मिलता है, मंदिर इकौना और भिनगा सड़क मार्ग पर स्थित है।

श्रावस्ती जिले में यातायात के साधन:

श्रावस्ती जिले में एक हवाई अड्डा है जो उत्तर प्रदेश के पांच प्रमुख शहरों से जोड़ता है। लखनऊ, कानपुर, बनारस, दिल्ली के लिए हवाई यात्रा शुरू की गई है। यहां पर 19 सीटर विमान की शुरुआत भी की गई है। जिसके साथ डेढ़ किलोमीटर का रनवे तैयार किया जा चुका है। श्रावस्ती जिले में एक बस अड्डा और कई छोटे बड़े स्टैंड है। श्रावस्ती जिले में बस अड्डा से बहराइच, लखनऊ, गोंडा आदि शहरों के लिए बस चलती हैं। रेल मार्ग भी श्रावस्ती जिले में जल्द शुरू हो जाएगी। वर्तमान समय  श्रावस्ती जिले से 40 किलोमीटर दूरी पर गोंडा जंक्शन से लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं।

श्रावस्ती जिले के व्यवसाय:

श्रावस्ती जिले में गेहूं, धान, गन्ना, सब्जी आदि की खेती होती है। श्रावस्ती जिले में फर्नीचर का अच्छा कारोबार है, फर्नीचर में काम आने वाली 97% लकड़ियां स्थानीय होती हैं। श्रावस्ती वन संपदा में बहुत मजबूत है, राष्ट्र में लगने वाली प्रदर्शनी में श्रावस्ती के उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। जिले के अन्य व्यवसाय की बात करें तो कृषि पर आधारित और रेडीमेड कन्हैया लकड़ी के सुंदर फर्नीचर धातु आधारित अभियंत्र आदि हैं। श्रावस्ती जिले में ग्रामीण क्षेत्र में कृषि के साथ-साथ पशु पालन भी लोगों  के कमाई का जरिया है। उद्योग में देखा जाए तो जिले में बड़ा उद्योग ना होने के कारण श्रावस्ती के लोग बाहर के शहरों में जाकर काम करते हैं। श्रावस्ती में उद्योग के मामले में पिछड़ा जिला है यहां पर वनस्पति तेल, आटा, मैदा, बेसन, और फर्नीचर आदि बनता है।

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