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रायबरेली जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

रायबरेली जिले के नाम को लेकर कहा जाता है कालान्तर में इस क्षेत्र पर कायस्थ का अधिपति राज था, जो की राव शीर्षक का प्रतीक थे। जब कि रायबरेली जिला की स्थापना 13 वी शताब्दी में भरो द्वारा किया गया था। जिन्हें भरौली या बरौली नाम से संबोधित किया जाता था। लेकिन कालान्तर में बरौली को अपभ्रंश रूप में बरेली कहा जाने लगा था। मुगल शासक काल में बादशाह अकबर के अंतर्गत आता था। सेनापति वीरा पासी जिनकी भूमिका ने 1857 की क्रांतिकारी में रायबरेली की मिट्टी का नाम रोशन किया और अपने राजा के लिए मरते दम तक साथ रहने का वचन भी निभाया था। अग्रेजों में भी वीरा पासी से इतना खौफ था, कि अग्रेजों ने पकड़ने के लिए 50 हजार रुपए का इनाम तक घोषित कर दिया था। वीरा पासी का इतिहास और उनके कारनामें काफी गौरवशाली रहा था। वीरा पासी का जन्म 11 नंबर 1835 को जनपद रायबरेली के ग्राम धीरपुर से चार किलो मीटर दूर उत्तर में ग्राम सराय डिंगोसा में हुआ था। वीरा पासी के पिता का नाम सुख लाल और माता का नाम सुरजी देवी था, और इनकी एक बहन भी थी। वीरा पासी बचपन से ही कुशल बुद्धि नटखट परिवर्धित के थे। इसलिए उस गांव के लोग आए दिन वीरा पासी की शिकायत उनके घर में करने के लिए आते थे। लेकिन गांव के लोग उसे बहुत मानते भी थे। क्योंकि वह सबका काम कर दिया करता था। कहते हैं कि खेत की कटाई में एक गाड़ी अमहट था जिसमे एक रस्सी बांधकर अपने बल से घसीटते हुए खेत से खलिहान तक पहुंच दिया था बहुत छोटी सी उम्र में सबके हितेषी बन गया था क्योंकि वीरा पासी के पिता कुश्ती में महारथी थे इसलिए अपने जैसा अपने बेटे को बचपन से कुश्ती का शौक था। निर्भीक और बहादुर भी था उसे सारे गुण अपने पिता से ही प्राप्त हुए थे। उस समय दलों के पास संतों का दंगल काफी प्रसिद्ध था। जिसमें वीरा पासी ने एक पहलवान को पटक कर चौंका दिया था वीरा पासी कुश्ती मल्ल युद्ध में भी निपुण था। वीरा पासी के आगे कुश्ती में कोई हाथ मिलाने की हिम्मत नहीं करता था। वीरा पासी शारीरिक रूप से बहुत फुर्तीला बदन फुला नवयुवक था। वह कुश्ती दंगल का विजेता भी बन गया था। वीरा पासी को  बचपन से घुड़सवारी का शौक था। जब राजा बेनी माधव के सैनिक ग्राम से गुजरते थे, तो उन्हें देखकर वीरा पासी का खून हिलोरे मारने लगाता था वह अपने दोस्तों से कहता की में भी एक दिन राजा की सैनिक में जाऊंगा। कुछ ही सालों बाद देश में स्वतंत्रता की ज्वाला लगने लगी थी। देश में राजा और नवाब अग्रेजों के बढ़ते प्रभाव और अत्याचार से तंग आ चुके थे क्योंकि अंग्रेज उनके बड़े राज्यों पर कठोर कर लगाना शुरू कर दिया था। जिससे अग्रेजों से खतरा था। इसी के चलते अवध में गहरा असंतोष हो गया था। वीरा पासी अग्रेजों से बहुत चिढ़ते थे। 

रायबरेली जिला – पूरा इतिहास, जलवायु, मुख्य फसलें, राजनीति, प्रसिद्ध हस्तियाँ, पर्यटन स्थल और जनसँख्या - UP Exam Guru

उस समय वीरा पासी काफी लोकप्रिय भी था, और साहसी भी और बहुत ही जल्दी टोली बनकर लिया और परेशान किसानों की मदद भी करने लगा था। उसके दो बड़े पक्के मित्र बने जिसमें एक ग्राम परिहार का रघुनाथ पासी तथा ग्राम लोधावरी का शिवदीन पासी बहुत अच्छे दोस्तों थे वीरा पासी के सैनिक भर्ती में एक रोचक किस्सा समाने आता है एक दिन राणा बेनी माधव सिंह जी ग्राम धीरा से गुजरात रहें वीरा पासी ने उन्हें राज का मुख सैनिक समझकर उनके सामने जाकर रोकर कहने लगा कि मुझे भी सेना में भर्ती होना है राज साहब ने उसकी शारीरिक बलिष्ठ को देखकर प्रभावित तो हुए लेकिन अनदेखा कर आगे बढ़ने लगे तभी वीरा पासी ने जोर से आवाज देकर बोलो मुझे भी आपकी सेना भर्ती होना है। तब राजा साहब ने कहा सेना में भर्ती होना सबके बस की बात नहीं है यह जिद छोड़ दो लेकिन वीरा पासी भी कहा मानने वाला था। वीरा पासी ने तुरंत बोला लेकिन मै भर्ती होना चाहता हूँ और जिद करने लगा तब राजा साहब ने कहा ठीक है, एक शर्त पर मै तुम्हें तब सेना में भर्ती करवा दुगा अगर तुम मेरा घुसा अपने सीने में सहेन कर लोगे तब वीरा पासी तुरंत तैयार हो गया। राणा बेनी माधव ने एक जोरदार घुसा वीरा पासी के सीने में मारा लेकिन वीरा पासी हिला तक नहीं लोग कहते है कि राजा साहब का एक घुसा आम आदमी सहन नहीं कर सकता था। राजा बेनी माधव सिंह वीरा पासी से प्रभावित हो गए और उसे सेना में भर्ती कर लिया। राजा साहब के घुड़सवार में सबसे ज्यादा बेलगाम घोड़ा तेजा था जिस पर कोई सवारी नहीं कर पाता था। उसे बस में करने के लिए वीरा पासी को कहा गया। घोड़ा तेजा गति का बहुत तेज दौड़ता और कोई भी सैनिक उसे नहीं सम्भाल पाते थे। 

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वह अपने दोनों पैरों से वीरा पासी को कुचलने लगा था लेकिन वीरा पासी अपने बुद्धि से घोड़े अपने प्रयासों से थक गया तो वीरा पासी ने घोड़ा को पैरों में अपने हाथों से पकड़कर पिछली लात मारी तो घोड़ा जमीन पर जा गिरा कुछ देर बाद उठा तो वीरा पासी उसे घोड़े पर सवार हो गए राजा बेनी माधव सिंह ने वीरा पासी  की इस बहादुरी को देखकर बड़े ही आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने भरी सभा में घोड़ा तेजा को वीरा पासी को देने का ऐलान कर दिया। राजा बेनी माधव के बढ़ते प्रभाव से अग्रेजों को इस बात की चिंता थी एक बार राजा और नवाब के बीच किसी वजह से विवाद हो गया तो अग्रेजों ने छल से राजा साहब को जेल में बंद कर दिया था जो की पूरे बसवार के लिए अपमानजनक बात थी इस बात से आगे होकर वीरा पासी जिस किले में राजा साहब को कैद कर लिया गया था वहां पर वीरा पासी पहुंच गए अपने घोड़ा बाहर बांधकर वह उस किले के अंदर घुस गया और राजा साहब उस समय आराम कर रहे थे फिर उसने राजा साहब se कहा चलिए राजा साहब हम आपको छुड़वाने आए है, तो राजा साहब ने कहा ऊपर कैसे आऊं तो वीरा पासी ने अपने साफा से राजा साहब को किसी तरह बाहर आए राजा साहब बहुत खुशी हुए और अपने राज्य की तरफ चल पड़े वीरा पासी से राजा साहब इतना प्रभावित हुए कि सभा में सेनापति घोषित कर दिया और पूरे बसवार में वीरा पासी की बहादुरी की चर्चे होने लगी।वहीं प्रथम स्वतंत्रता संगम के दौरान अंग्रेजों ने जिला पर कब्जा करने का प्रयास किया इस दौरान राजा बेनी माधव ने 18 माह तक अग्रेजों से लोह लेते हुए जिलों को ब्रिटिश शासन से सुरक्षित रखा था और 1858 में जिले के रूप में स्थापित किया था। इसके अलावा सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई स्वतंत्रता आंदोलन में इस जिले की अहम भूमिका रही है वहीं सन 1958 में भारत सरकार द्वारा रायबरेली के आधुनिक स्वरूप की स्थापना किया गया था तथा इसे लखनऊ मंडल के अंतर्गत शामिल किया गया है।

क्षेत्रफल:

भौगोलिक रूप से रायबरेली का क्षेत्रफल- 4003 वर्ग किलोमीटर है जोकि समुद्र तल से 86.9 मीटर से लेकर 120.4 मीटर ऊंचाई पर बसा हुए है

यह जिला उतर प्रदेश की राजधानी से 80 किलो मीटर के दूरी पर दक्षिण और पूरब भगा पर बस हुआ है रायबरेली जिला RTO की सख्या UP33 है।

पड़ोसी जिले:
इस जिला के पूरब में अमेठी, पश्चिम में उन्नाव तथा दक्षिण पूरब में प्रतापगढ़ और उतर में लखनऊ व बाराबंकी जिला की सीमा लगती है। जबकि जिले के दक्षिणी छोरा पर गंगा नदी का प्रवाहित होती है। जो कि इसे फतेहपुर जिला से अलग करती है।

जनसँख्या:
2011की जनगणना के आधार पर रायबरेली जिला कुल जनसंख्या - 2903507 है 
पुरुषों की संख्या - 1495244,
महिलाओं की संख्या - 1408263

जिला की जनसंख्या घनत्व 721 वर्ग किलोमीटर है जबकि स्त्री - पुरुष लिंगानुपात 942 तथा महिला लिंगानुपात 926 प्रति हजार है। वहीं जिला की  औसत साक्षरता दर 68.41प्रति व्यक्ति है। हालांकि अभी भी अन्य कई जिलों की तुलना में रायबरेली की साक्षरता दर काफी कम है।

नदियाँ:

गंगा नदी इस जिले के जल का प्रमुख गंगा नदी इस जिले के जल का प्रमुख स्रोत और साथ ही जलोढ व समतल मैदानी के विस्तार से आच्छादित है रायबरेली का बड़ा हिस्सा वन क्षेत्र से  फैला हुआ है|

तहसीलें:
रायबरेली जिला में छः तहसील है 1 ऊंचाहार 2 डलमऊ 3 महाराजगंज 4रायबरेली 5लालगंज 6सलोन

ब्लॉक व पंचायत:

रायबरेली जिला में 18 ब्लॉक है - 1. अमावा 2. बछरावा 3. सतवां 4. डलमऊ 5. हरचंदपुर  6. खीरों 7.  लालगंज 8. महाराजगंज 9. जगतपुर 10. राही 11. रोहनिया 12. सरेनी 13. शिवगढ़ 14. दीन शाह गौरा 15. ऊंचाहार 16. डीह 17. छतोंह 18. सलोन।

रायबरेली जिला में ग्राम पंचायत की संख्या - 989 है, और न्याय पंचायत की सख्या - 155 है,  और नगर निकाय की सख्या - 9 है।

थाना व कोतवाली:

रायबरेली जिला में थाने की संख्या 19 है 1. बछरावा 2. डलमऊ 3. डीह 4. भदोखर 5. गदागंज 6. गुरुबक्सगंज 7. हरचंदपुर 8. मिल एरिया 9. जगतपुर 10. खीरों 11. कोतवाली रायबरेली 12. लालगंज 13. महाराजगंज 14. नसीराबाद 15. सलोन 16. सरेनी 17. शिवगढ़ 18. ऊंचाहार 19. महिला थाना।

भाषा व बोली:

रायबरेली जिला में बोली जानेवाली भाषा - अवधि और हिंदी आदि भाषाओं बोली जाती है

मुख्य व्यापार:
आर्थिक रूप से  रायबरेली जिला उतर प्रदेश राज्य का प्रमुख व्यापारीक केंद्र है रायबरेली में केन्द्र सरकार के प्रमुख उद्योग की स्थापना की गई जिसमें आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना इंडियन टेलिफोन [एंडट्रीय] एव नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन का उतर प्रदेश राज्य के पहले स्थापित होने का गौरव प्राप्त है। तो दूसरे ओर देश में इनमें से उच्चा शिक्षा एव शोध संस्थान भी मौजूद हैं।

रायबरेली की महान हस्तियां 

माधव राज चंदूलाल हैदराबाद के प्रधानमंत्री रहे और उर्दू के प्रमुख शायर रहे थे। चंदूलाल शायर का जन्म 1766 मे हुआ था। यह तीसरी निजाम आसिफ द्वितीय के समय में 1835 से 1844 तक हैदराबाद डिवीजन के प्रधानमंत्री थे, और वहां रायबरेली के एक परवाज के परिवार से थे यह उर्दू कविता और साहित्य के संरक्षक थे उनकी स्मृति में हैदराबाद का एक मोहल्ला चंदू लाल बारादरी आज भी हैदराबाद में मौजूद है।

मीनाक्षी दीक्षित भारतीय फिल्म अभिनेत्री मीनाक्षी दीक्षित का जन्म 12 अक्टूबर 1993 को रायबरेली में हुआ था। उन्होंने कथक और पश्चिम नृत्य कला में प्रतिक्षण लिया तथा तेलुगू, तमिल, हिंदी, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में काम किया सर्वप्रथम साल 2008 में एनडीटीवी के इमेजिंग के डांसर

लीला मिश्रा ने अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री लीला मिश्रा का जन्म 1 जनवरी 1908 को रायबरेली में हुआ था। उनकी पहली फिल्म 1936 में आई जिसका नाम सती सुलोचना था। जिनमें मंटू दादरी का रोल अदा किया था फिल्म शोले में मौसी का किरदार निभाने वाली लीला मिश्रा अपने 5 दशक तक चली करियर में 60 सालों से अधिक फिल्मों में काम किया इसके अलावा फिल्म नीम में किरदार निभाए और उनके किरदार में भी खूबसूरतियां बटोरी हैं और इस फिल्म के लिए पहली बार उन्होंने 1973 में 73 वर्ष की उम्र में फिल्मफेयर अवार्ड से उनको नवाजा गया।

स्वप्निल सिंह भारतीय घरेलू क्रिकेटर का जन्म 22 फरवरी 1991 को रायबरेली जिले में हुआ था। वह दाएं हाथ के बल्लेबाज और बाएं हाथ के गेंदबाज थे। उन्होंने 2006 में 15 साल की उम्र में बड़ौदा के लिए मैच में खेला और 2008 में आईपीएल में मुंबई इंडियंस टीम के सदस्य बने थे।

अब्दुल रशीद खान प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शायर और गायक अब्दुल रशीद खान का जन्म 19 अगस्त 1908 को रायबरेली में हुआ था। गढ़वाल घराने से थे लगभग 20 वर्ष तक संगीत अनुसंधान से जुड़े रहे 105 वर्ष की उम्र में वर्ष 2013 में पुरुष अकादमी पुरस्कार से नमाजे गए वह एक पुरस्कार पाने वाले सबसे ज्यादा उम्र के व्यक्ति थे।

उमाशंकर मिश्रा प्रदेश के कांग्रेस दिग्गज नेता, उमाशंकर का जन्म रायबरेली के सतवां ब्लॉक क्षेत्र में सुल्तानपुर गांव में हुआ था। वह रायबरेली में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी रहे रह चुके थे। 

अब्बू हसन अली हसन नकवी भारतीय विद्वान और विभिन्न भाषाओं में 50 से अधिक पुस्तक के लेखक थे। हसन अली उर्फ अली मियां का जन्म 5 दिसंबर 1913 को रायबरेली में हुआ।

अशोक सिंह भारतीय राजनैतिज्ञ थे। अशोक सिंह का जन्म 12 जनवरी 1955 को रायबरेली के लालपुर चौहान गांव में हुआ था उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1987 में अमवा ब्लॉक प्रमुख के रूप में किया था। ऐसा माना जाता है 1996,1998 भाजपा की टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।

रायबरेली लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र:

रायबरेली जिला में 5 विधानसभा सीटें हैं 1. बछरावा 2. हरचंदपुर 3. रायबरेली 4. सोलन 5. ऊंचाहार  

रायबरेली लोकसभा में पहला चुनाव से लेकर अब जीतने वाले जितने चुनाव हुए हैं उनमें से तीन बार कांग्रेस के अलावा किसी और पार्टी ने जीत हासिल किया था। एक तरफ से यह कांग्रेस का गढ़ का क्षेत्र बन चुका है। यहां से पहली बार 1977 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी जीत हासिल करके अपनी पार्टी का खाता खोला था। जो अब तक बंद ही नहीं हुआ है 1962 में चुनाव चुनाव में रायबरेली सीट दलित वर्ग के लिए आरक्षित हुई थी तब यहां पर कांग्रेस के बैजनाथ कुरील सांसद चुने गए थे। 1967 में आम चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट फिर से सामान्य वर्ग कर दी गई लेकिन रायबरेली में अब तक प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुत्री और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इसे अपना निर्वाचन क्षेत्र घोषित किया था। वह यहां से तीन बार सांसद रही 1977 में कांग्रेस पार्टी पहली बार इस क्षेत्र में हारी थी और भारतीय लोक दल के नेता राज नारायण यहां से सांसद बने थे लेकिन 1980 में फिर से यहां के सत्ता कांग्रेस के हाथों में आ गई जिसके बाद जवाहरलाल नेहरू के भतीजे अरुण कुमार नेहरू सांसद बने लगातार यहां से सांसद रहे दो बार सांसद बने उसके बाद में 1989 और 1991 में कांग्रेस की शिला कुरील ने यह पद संभाला था और 1996 में दो बार कांग्रेस और यहां भारतीय जनता पार्टी के अशोक सिंह से हारी थी और अशोक सिंह लगातार दो बार रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे 1999 में कांग्रेस यहां पर फिर से जीती और इस बार कैप्टन सतीश शर्मा सांसद बने और 2004 में इंदिरा गांधी की बहु सोनिया गांधी ने भी इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। वह भारी मतों से विजई हुई। साल 2006 में लगभग यहां के विवाद के बाद में रायबरेली की सांसद रही सोनिया गांधी ने लोकसभा सदस्य से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि सोनिया गांधी संसद की सदस्य होने के साथ-साथ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अध्यक्ष भी रही जिसमे 2006 में उपचुनाव हुआ जिसमें सोनिया गांधी ने दोबारा से इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज किया था और तब से लेकर अब तक वह रायबरेली की सांसद 2009 और 2014 में समाजवादी पार्टी के पार्टी ने सोनिया गांधी के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतरा था। 2009 में सोनिया गांधी को 372000 वोट से ज्यादा वोटो से चुनाव जीती थी। वही 2014 में मोदी लहर होने के बावजूद 3 लाख 53000 से ज्यादा वोटो से चुनाव जीती थी अब तक 16 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और तीन बार उपचुनाव में कांग्रेस ने 16 बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज किया है 1977 में लोक दल 1996 1998 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी  बीएसपी की सीट पर अभी तक खाता नहीं खोल पाई है। बीएसपी लगातार दो चुनाव में प्रत्याशी नहीं उतरा है रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में वोटो की संख्या 1594954 है।

रायबरेली में देखने व घूमने वाले स्थान:

रायबरेली के शहर में तेलिया कोट मोहल्ले में अंग्रेजों के जमाने से एक कुआं बनवाया गया था जिसमें आज के समय में बड़ा कुआं के नाम से जाना जाता है इस कुआं का निर्माण अंग्रेजों द्वारा उनकी निजी उपयोग के लिए करवाया गया था जैसे पानी और स्नान के लिए इसके अलावा ऐसा कहा जाता है कि यह कुआं समुद्र से जुड़ा हुआ है इसके पीछे लोग का मानना है कि कई वर्षों पहले किसी मौलाना की छतरी इस कुएं में गिर गई थी इसके बाद वह किसी समुद्र यात्रा के लिए समुद्र में गए तो वहां उनकी छतरी मिल गई जो कुएं में गिरी थी इस प्रकार लोग इस कुआं को समुद्र से जुड़ा मानते हैं। लेकिन इस सब बातों से हटकर इस कुएं का सबसे रोचक तथ्य यह है कि एक समय इस कुएं में अचानक से समुद्र का पानी भरने लगा था और कुएं में जल स्तर लगातार बढ़ने लगा था इसके कारण शहर में बाढ़ आ गई थी। और खतरा बहुत हो गया था जिसमें बचाने के लिए इस कुएं को 36000 मन का तवा रख दिया गया तो इसके कारण कुआं को देखने के लिए लोग कई जनपदों से आए थे पर अफसोस की बात यह है कि आज इस ऐतिहासिक धरोहर को सहयोग की बजाय इसको इतिहास के पन्नों में दफन किया जा रहा है।

रायबरेली का प्रमुख धार्मिक स्थान:

मनसा देवी एक प्रसिद्ध मंदिर है, यह मनसा देवी को समर्पित है भगवान शिव की मानव रूपी पुत्री हैं। भगवान शिव ने मंदिर मनसा देवी को योग एवं शिक्षा दी थी। मनसा देवी मंदिर परिषद में एक बहुत बड़ा पेड़ लगा हुआ है। यह मंदिर रायबरेली का सबसे पुराना मंदिर है। 
बेहटा पुल रायबरेली के पास घूमने के लिए एक अच्छी जगह है इस ब्रिज से शारदा नहर बहती है। यहां पर इंजीनियरिंग का बहुत अच्छा मॉडल देखने के लिए मिलता है। यहां पर सई नदी का दृष्ट भी बहुत सुंदर देखने को मिलता है। यह जगह रायबरेली के बेहटा में स्थित है।

Behta Bridge Raibareli

श्री संकट मोचन मंदिर डलमऊ रायबरेली का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है यहां पर घाट भी बना हुआ है इसे श्री संकट मोचन घाट के नाम से जाना जाता है। मंदिर में हनुमान जी की बहुत बड़ी सुंदर प्रतिमा को दर्शन करने के लिए मिलता है। यह मंदिर रायबरेली में डलमऊ में स्थित है।
रेवती राम का तालाब रायबरेली का एक ऐतिहासिक स्थल है। यहां पर आपको एक प्राचीन तालाब देखने के लिए मिलता है तालाब के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई है तालाब के एक तरफ सुंदर डिजाइन बना हुआ है। यहां पर आकर आप अपने मन को शांति से समय को बिता सकते हैं।
अभय दाता हनुमान मंदिर यह हनुमान मंदिर रायबरेली का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा के दर्शन के करने के लिए मिलता है। मंदिर के चारों तरफ वातावरण बहुत स्वच्छ है यह रायबरेली में दूरभाष नगर में स्थित है।
श्री मां चंपा देवी मंदिर रायबरेली का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर चंपा देवी को समर्पित है। यह मंदिर एक सिद्ध पीठ मंदिर है। इस मंदिर में चंपा देवी के दर्शन करने के लिए लोग आते हैं। यह मंदिर रायबरेली के अहिया रायपुर में स्थित है।
पक्का घाट डलमऊ रायबरेली का एक प्रसिद्ध स्थल है। यहां माहौल बहुत अच्छा है। गंगा घाट के किनारे बहुत सारे प्राचीन मंदिर है यहां पर शिव मंदिर बना हुआ है जहां पर शिवलिंग और नंदी भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह रायबरेली के डलमऊ में स्थित है।

रोहनिया एव समसपुर रामशका के झीलों को आपस में मिलने से इसका विशाल अभ्यारण का निर्माण होता है नवंबर से मार्च महीने के बीच यहां पर प्रवासी पक्षियों के लगभग 250 प्रजातियां 5000 किलोमीटर दूरी से आती हैं। माना जाता है साइबेरिया एवं यूरोप से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। यहां के झीलों में मछलियां भी 12 किस्म की पाई जाती हैं। पर्यटक यहां पर पक्षियों को देखने के लिए आते हैं। शहर के लोग यहां दूर एकांत में कुछ समय बिताने के लिए आते हैं। केंद्र सरकार द्वारा हर वर्ष 25 लाख रुपए इस पर्यटन स्थल की देखभाल के लिए प्रदान किए जाते हैं। लेकिन वर्तमान में इसकी स्थिति अत्यंत दयनीय है। अब यहां पर्यटक एवं प्रवासी पक्षियों की संख्या बहुत कम दिखाई पड़ती है।

इंदिरा गांधी मेमोरियल बॉटनिकल पार्क : यह लखनऊ वाराणसी राजमार्ग पर स्थित है। इंदिरा गांधी मेमोरियल बॉटनिकल पार्क को 1986 मे स्थापित किया गया था। 57 हेक्टेयर क्षेत्र में यह पार्क फैला है। सई नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। इस बगीचे का निर्माण फूल, फलों एवं सब्जी उगाने की नहीं वैज्ञानिक वनस्पतियों पर शोध करने वाले विद्यार्थियों एवं विशेषज्ञ पौधे के बारे में जिज्ञासाओं को लोगों के लिए शिक्षण संस्था के रूप में परिस्थिति का संतुलन दर्शाने के लिए हुआ था। जिसमें 23 औषधीय प्रजाति के 114 पौधे जैसे नेम जमाल, छोटा धतूर आदि के अलावा संस्कृत वनस्पतियों की 16 प्रजातियों के 156 वृक्ष जैसे बेल, पीपल, शीशम आदि शामिल हैं। व्यावसायिक वनस्पतियों में रजनीगंधा, सफेद, नारियल आदि 12 प्रजातियों के पौधे हैं। इसके अलावा रोज गार्डन, रॉक गार्डन, मौसमी गार्डन, जलीय गार्डन जैसे बगीचे आदि हैं।

महेश पैलेस: महेश विलास पैलेस जिसका निर्माण पश्चिम बंगाल के गौर राजवंशी राजा बरखंडी महेश प्रताप सिंह के पूर्वजों ने 1942 में राजस्थान के बीकापुर नामक जगह पर स्थित लालगढ़ किले की डिजाइन के आधार पर करवाया था। वर्तमान में इसके उत्तराधिकारी राकेश प्रताप सिंह जी के संरक्षण में जहां पर एक संस्कृत विद्यालय संचालित होता है। पैलेस के विशाल डाइनिंग हॉल, दरबार और छत आज भी अपनी टिकाऊ बनावट के कारण आकर्षित दिखाई पड़ते हैं। कई टीवी धारावाहिक, भोजपुरी, बॉलीवुड फिल्मों का चित्रांकन यहां पर इसकी भव्यता को दर्शाते हुए किया गया है। जिसमें अजय देवगन की कई फिल्में, बुलेट राजा, मैडम चीफ मिनिस्टर जैसी कई फिल्मों के अनेक दृश्य यहां पर फिल्माए गए हैं।

रायबरेली के प्रमुख स्थल के इतिहास संक्षिप्त में:

ऐतिहासिक रायबरेली स्टेशन से रायबरेली जंक्शन लखनऊ चारबाग के उत्तर रेलवे जोन में 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 
रायबरेली जंक्शन लखनऊ से रायबरेली रेलवे मार्ग के निर्माण की अनुमति ब्रिटिश शासन द्वारा 1891 में दी गई थी 18 अक्टूबर 1893 को इससे यात्रा को ट्रेन के लिए संकेत कर दिया गया था रायबरेली से वाराणसी रेलवे मार्ग को बनाने का प्रस्ताव अक्टूबर  1995 में 95 में रखा गया था 2 साल में इसका कार्य पूरा हुआ था 4 अप्रैल 1898 को इसे भी यात्रियों की आवागमन के लिए शुरू कर दिया गया था समुद्र तल से 116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जंक्शन पर चार प्लेटफार्म है जिन पर 89 रेल गाड़ियां विश्राम लेती हैं आने जाने को मिलाकर 14 पैसेंजर 15 सुपरफास्ट 45 एक्सप्रेस तो गरीब रथ एवं रेलगाड़िया यात्रियों को सफल बनाती हैं रायबरेली जिला में चार जंक्शन है रायबरेली दरियापुर डलमऊ और ऊंचाहार रायबरेली का सबसे रायबरेली से लखनऊ वाले रेलवे मार्ग पर कुल पांच स्टेशन जिले की सीमा से स्थित है 8 किलोमीटर दूरी पर गंगागंज 15 किलोमीटर दूरी पर हरिशचंद्रपुर 21 किलोमीटर दूरी पर कुंदनगंज 31 किलोमीटर दूरी पर बछरावां एवं 37 किलोमीटर दूरी पर श्री राज नगर रेलवे स्टेशन रायबरेली से ऊंचाहार कुंडा प्रयागराज मार्ग पर 6 किलोमीटर दूरी पर दरियापुर जंक्शन के अलावा 111 किलोमीटर पर बेला बेलापुर 21 किलोमीटर दूरी पर लक्ष्मणपुर 38 किलोमीटर दूरी पर ऊंचाहार जंक्शन जिले के भीतर स्थित है रायबरेली से डलमऊ उन्नाव कानपुर वाली रेलवे मार्ग पर दरियापुर जंक्शन के अलामत 13 किलोमीटर पर सूरजकुंड 17 किलोमीटर की दूरी पर 231 किलोमीटर राधा बलरामपुर हाय 31 किलोमीटर रोड वह 39 किलोमीटर दूरी पर भाई 45 किलोमीटर दूरी पर लालगंज 53 किलोमीटर दूरी पर निघासन हाइटेक 58 किलोमीटर दूरी पर रघु राज सिंह एवं 63 किलोमीटर दूरी पर बसे द्वारा स्टेशन रायबरेली जिले में स्थित है रायबरेली से अमेठी प्रतापगढ़ रेलवे मार्ग पर मात्र एक स्टेशन जंक्शन से 9 किलोमीटर दूरी पर स्थित है रूपमऊ इसके अलावा ऊंचाहार से डलमऊ जंक्शन के बीच तीन अन्य रेलवे स्टेशन है 47 किलोमीटर दूरी पर भर बुजुर्ग 44 किलोमीटर पर जलालपुर उरई एवं 40 किलोमीटर पर ईश्वर दासपुर की डलमऊ पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल से गंगा नदी के किनारे ऊंचे टीले पर फिर डालब ऋषि का आश्रम हुआ करता था आज आसपास की प्रति से संचालित गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिष्य आते थे कई लोग ऐसे मानते हैं कि दलक ऋषि के कारण ही इस स्थान का नाम डलमऊ पड़ा था ब्राह्मी शताब्दी में राजेंद्र नाथ मोहनी अयोध्या से आकर यहां बसे और उन्होंने सन्यासियों के लिए मतों की स्थापना की आज भी यहां पर छोटा मठ एवं बड़ा मैथ में विद्यार्थी संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त करके सन्यासियों की तरह जीवन यापन करते हैं रायबरेली गजेटेड में लिखा गया है की ऐतिहासिक साथियों से पता चलता है इसी के लिए पर बैठकर प्रसिद्ध काव्य सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने गंगा की विस्तार का अवलोकन करते हुए अनेक महत्वपूर्ण रचनाएं लिखी यहां पर स्थित चौधरी चरण सिंह पंपिंग स्टेशन से गंगा नदी का जल एक छोटी नहर के माध्यम से प्रवाहित किया जाता है जो कि आगे जाकर शारदा नहर में विलय हो जाता है और किस शहीद स्थल मुंशीगंज अगर यहां जानना चाहते हो कि अंग्रेज का गढ़ रायबरेली ही क्यों बना तो साइन नदी के किनारे मुंशीगंज नामक स्थान पर बना हुआ स्मारक की वह कारण है जिसे कांग्रेस को गढ़ रायबरेली से हमेशा के लिए जोड़ दिया गया एवं प्रयागराज में स्थित मोती लाल नेहरू के पुत्र पंडित जवाहरलाल नेहरू की जब यहां समाचार समाचार मिला था रायबरेली के मुंशीगंज सई नदी के किनारे अनमोल शर्मा एवं प्रतापगढ़ के बाबा जानकीदास के नेतृत्व में सैकड़ो किसान के साथ ब्रिटिश सरकार द्वारा लिए जा रहे आवेदन कर और अत्याचारों के खिलाफ विद्रोह प्रदर्शन कर रहे और स्थित कभी भी अनियंत्रित हो सकती थी तब आनंद आनंद में रेलवे रेलगाड़ी के माध्यम से वह रायबरेली पहुंचे थे 7 अगस्त 1921 को स्टेशन से केसरी उतरते ही अंग्रेजी पुलिस पुलिस ने रोक लिया उधर साइन नदी के किनारे निहत्थे किसानों पर बर्बरतापूर्ण गोलियां चलाई गई थी 
माना जाता है कि लगभग 700 किसान इस गोली कांड में वीरगति को प्राप्त हुई उनके शरीर से निकले हुए रक्त से साइन नदी का पानी मटमैला से लाल पड़ गया था जिस पल पर किसानों को गोली लगी थी उसे पॉल को तोड़ दिया गया स्थानीय लोगों आज भी इसे टूटा हुआ कल कहते हैं बाद में सही नदी को पार करने के लिए लोहे के क्षेत्र का निर्माण किया गया नदी के उसे पर किस सहित स्मारक भारत माता मंदिर एवं भारत मां की प्रतिमा देखने के लिए लोग यहां पर आते हैं इतिहासकार इस हिंसा घटना की निंदा की व्याख्या अंग्रेजी सम्राट में हुए दूसरे जलियांवाला बाग गोली कांड के रूप में कहते हैं समसपुर पक्षी विहार सालों से 8 किलोमीटर दूरी पर ऊंचाहार जाने वाली मार्ग पर स्थित 789 हेक्टेयर में फैला हुआ समसपुर पक्षी विहार जिसका स्थापना 1987 में किया गया था

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